मोदी सरकार का एक और बड़ा प्रोजेक्ट, देश के सबसे खतरनाक रास्ते पर बिछेगी रेल लाइन

By Anshuman Anand  |  First Published Oct 18, 2018, 6:40 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जल्दी ही देश एक और उपलब्धि हासिल करने की ओर बढ़ रहा है। देश के सबसे खतरनाक रास्ते पर रेल लाइन बिछाने का काम शुरु हो गया है। इसके लिए उत्तर रेलवे ने सर्वे का काम शुरु कर दिया है। 

जल्दी ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जम्मू कश्मीर के सबसे दुर्गम इलाके लेह तक का सफर ट्रेन से करना संभव हो जाएगा। इसके लिए हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से लेह तक रेल लाइन बिछाने का सर्वे किया जा रहा है। तीन चरणों में होने वाले सर्वे का पहला चरण पूरा हो चुका है। सर्वे के बाद रेल लाइन बिछाने का काम शुरू होगा।

करीब 465 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चल सकेगी। इसके बाद दिल्ली से महज 20 घंटे में लेह का सफर संभव हो सकेगा। अभी सड़क मार्ग से जाने में कम से कम 40 घंटे लग जाते हैं। इस परियोजना की अनुमानित लागत 83 हजार 360 करोड़ रुपये है। इस रेल लाइन पर यात्री 244 किलोमीटर का सफर सुरंग के अंदर करेंगे। इस पर 74 सुरंग बनेंगी, जिसमें सबसे लंबी 27 किलोमीटर की होगी।

यह रेल लाइन सैन्य लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह परियोजना सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यटन के साथ साथ सेना के लिए भी बेहद जरुरी है। चीन की सीमा के नजदीक होने के कारण यह रेल परियोजना सामरिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए इसके निर्माण में भारतीय सेना की जरूरतों का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। 

इससे लेह-लद्दाख के विकास में तेजी आएगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। अभी लेह से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन हिमाचल प्रदेश का भानुपल्ली है और वहां से लेह की दूरी 730 किलोमीटर है। बिलासपुर से लेह-मनाली हाईवे से होकर इसकी दूरी 645 किलोमीटर है, जोकि साल में भारी बर्फबारी की वजह से छह से सात माह तक बंद रहता है। रेल सेवा शुरू होने से पूरे वर्ष आवागमन संभव हो सकेगा। 

हालांकि यह परियोजना इतनी आसान नहीं है। यह रेल मार्ग दुनिया के सबसे दुर्गम इलाके से होकर गुजरेगी। साथ ही बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन विश्व की सबसे ऊंची रेल लाइन होगी, जोकि जोखिम भरे दुर्गम और ऊबड़-खाबड़, विभिन्न ऊंचाई वाले क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। भौगोलिक स्थिति की वजह से भारतीय रेल के लिए यह सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। 

इस क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी, कच्चे पहाड़, हिमस्खलन, भूस्खलन और शून्य से काफी नीचे तापमान जैसी कठिन चुनौतियां हैं। इससे पार पाने के लिए आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीक का प्रयोग करना होगा। चिंगहई-तिब्बत रेलवे लाइन समुद्रतल से 5072 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वहीं, बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन 5370 मीटर की ऊंचाई पर होगा।

रेलवे अधिकारियों का कहना है, कि बिलासपुर-लेह रेल परियोजना के तहत 30 रेलवे स्टेशन बनाएं जाएंगे। देश में पहली बार सुरंग के अंदर रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा, जोकि लाहौल स्पीति के केलाग में निर्मित किया जाएगा। इस रेल मार्ग पर 124 बड़े पुल और 396 छोटे पुल बनाए जाएंगे। इस रेल लाइन से हिमाचल प्रदेश के मंडी, मनाली, केलाग, कोकसर, दारचा और जम्मू-कश्मीर के उपसी और कारू सहित कई स्थान जुड़ेंगे।

अधिक ऊंचाई की वजह से लेह-लद्दाख में ऑक्सीजन की कमी रहती है। इसे ध्यान में रखकर यहां चलने वाली ट्रेन में विशेष तरह के कोच लगाए जाएंगे। स्टेशन के बनावट में भी इसका ध्यान रखा जाएगा कि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।

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