गाज़ीपुर के ठेकेदार अशोक सिंह सनसनीखेज़ बयान दिया है। उनके मुताबिक बजरंगी की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उसके सरपरस्त मुख्तार अंसारी ने ही करवाई है और जेल में बैठा घड़ियाली आंसू बहा रहा है। मुख्तार अपनी जान को खतरा बता रहा है। इसके पीछे अशोक बड़ी दिलचस्प दलील दे रहे हैं।
कुख्यात डॉन मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या के मामले में नया मोड़ आ गया है। गाज़ीपुर के ठेकेदार अशोक सिंह सनसनीखेज़ बयान दिया है। उनके मुताबिक बजरंगी की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उसके सरपरस्त मुख्तार अंसारी ने ही करवाई है और जेल में बैठा घड़ियाली आंसू बहा रहा है। मुख्तार अपनी जान को खतरा बता रहा है। इसके पीछे अशोक बड़ी दिलचस्प दलील दे रहे हैं।
अशोक का तर्क है कि मुख्तार अंसारी अपना काम निकल जाने के बाद किसी भी शख्स को अपने रास्ते से हटा देता है। ऐसा ही मुन्ना बजरंगी के साथ हुआ क्योंकि उसमें राजनीतिक महत्वकांक्षा जाग गई थी। उसने मुख्तार अंसारी के सभी ठेके में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया था। हद तो तब हो गई जब मुख्तार के गृह ज़िले गाज़ीपुर में ही रोडवेज़ की बिल्डिंग का ठेका मुन्ना बजरंगी ने ले लिया।
अशोक सिंह दुसरा कारण बता रहें हैं कि कृष्णानंद राय हत्याकांड के में जिन-जिन लोगों की पेशी होनी थी उसमें एक नाम मुन्ना का भी था। इसमें मुन्ना सरकारी गवाह बन जाता तो मुख्तार के लिए परेशानी खड़ी हो जाती।
साल 2006 में भले ही मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय की हत्या की थी पर हत्या करवाई मुख्तार अंसारी ने थी। सूत्र भी बताते हैं कि मुन्ना बजरंगी इस बहुचर्चित हत्याकांड में अदालत के सामने सच बताने को तैयार था जैसा की अशोक सिंह भी दावा कर रहें हैं।
सूत्रों का दावा है बजरंगी के गवाही की बात बहुत गुप्त रखी गई थी क्योंकि मामला एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि की हत्या का था लेकिन ये खबर मुख्तार अंसारी को भी लग गई थी जिससे उसकी बेचैनी बढ़ गई थी। इस मामले के मुख्य आरोपी यानी मुन्ना बजरंगी के सरकारी गवाह बन जाने के बाद मुख्तार की गर्दन फंसनी तय थी।
यूपी में बीजेपी की सरकार आने के बाद से माफिया और गैंग्स्टरों की नींद हराम हो गई है। सभी पुराने मामले खोले जा रहे हैं, सबूत इकट्ठे किए जा रहे हैं, मुख्य आरोपियों के खिलाफ अदालत के सामने मज़बूत गवाह खड़े किए जा रहे हैं।
इसी वजह से मुन्ना बजरंगी की हत्या करने का फैसला किया गया। इस तरह मुख्तार ने एक तीर से दो निशाने साधे। एक तो खुद को कानूनी पचड़े से बचा लिया, दूसरा इस हत्याकांड की बदनामी योगी सरकार के मत्थे मढ़ दी।
मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में कई पेंच हैं। जिस संजीव राठी पर उसकी हत्या का आरोप लगा है। उससे बजरंगी की कोई सीधी अदावत नहीं थी बल्कि झांसी जेल में बंद राठी के भाई की बजरंगी ने मदद की थी। इसकी वजह से दोनों में काफी घनिष्ठ संबंध बताए जाते हैं।
मर्डर वैपन पर किसी की उंगलियों के निशान अभी तक नहीं मिल पाए हैं, क्योंकि उसे सीवर में फेंक दिया गया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि मुन्ना बजरंगी को दस गोलियां लगीं हैं, तीन शरीर के उपरी हिस्से में और बाकी सात निचले हिस्से में।
हत्यारोपी संजीव राठी का कहना है, कि पिस्तौल खुद बजरंगी की थी। उन दोनों के बीच बहस हुई, जिसके बाद राठी ने पिस्तौल छीनकर बजरंगी के उपर गोलियां बरसा दीं। उस समय वहां कोई और मौजूद नहीं था, लेकिन वहां किसी तीसरे की मौजूदगी का भी शक है। यह कौन था, इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है।
इसके अलावा पिछले एक दशक से मुन्ना बजरंगी और मुख्तार अंसारी का रास्ता अलग हो गया था। हालांकि बजरंगी ने अपना आपराधिक करियर मुख्तार के शूटर के रुप में ही शुरू किया था। बाद में उसने अपना रास्ता अलग कर लिया था और फिरौती, टेंडर जैसे मामलों में स्वतंत्र रुप से निर्णय लेने लगा था। मुख्तार ने इसे तो बर्दाश्त कर लिया, लेकिन उसका सरकारी गवाह बनने की खबर ने उसे बेचैन कर दिया। क्योंकि इससे उसका पूरा जीवन दांव पर लग जाता।
किसी भी अपराध होने पर पहला शक उस शख्स पर जाता है, जिसे उस घटना का सबसे बड़ा फायदा पहुंच रहा हो। पुलिस की जांच भी इसी आधार पर आगे बढ़ती है। ऐसे में मुन्ना बजरंगी की हत्या का सबसे बड़ा फायदा फिलहाल तो मुख्तार अंसारी को होता दिख रहा है। इस मुद्दे पर जिस बीजेपी सरकार की आलोचना की जा रही है, वह तो हर तरफ से घाटे में दिख रही है। उसे विपक्ष की आलोचना झेलनी पड़ रही है और उसके विधायक की हत्याकांड का मुख्य गवाह हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया, जो कि उसके लिए बड़ा झटका है।
मुन्ना बजरंगी हत्याकांड का सच अभी सामने आना बाकी है, कहानी जैसी दिख रही है वैसी है नहीं। इस घटना की बारीकी से जांच की जाए तो इसके सभी तार खुलकर सामने आ सकते हैं।
आपको बता दें कि अशोक सिंह की मुख्तार अंसारी से अदावत है। इसी अदावत में अशोक के भाई मुन्ना सिंह की ठेकेदारी विवाद को लेकर हत्या कर दी गई और आरोप लगा मुख्तार पर।