यह अमरिंदर-सिद्धू नहीं बल्कि अमरिंदर-राहुल की जंग है

By Team MyNationFirst Published Dec 4, 2018, 1:37 PM IST
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नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ दिए गये विवादास्पद बयान ‘राहुल मेरा कप्तान' के बाद सिद्धू समाचार चैनलों में चर्चा का विषय बन गये हैं।

नई दिल्ली: नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ दिए गये विवादास्पद बयान ‘राहुल मेरा कप्तान' के बाद सिद्धू समाचार चैनलों में चर्चा का विषय बन गये हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को एहसास है कि यह सिद्धू और अमरिंदर  के बीच का नहीं शायद यह राहुल गांधी और अमरिंदर के बीच के एक विवाद का परिणाम है। जिसमें वास्तविकता रूप से सिद्धू का उपयोग केवल एक मोहरे के तौर पर किया जा रहा है।

I will be traveling for the next few days.Happy New Year to everyone,wishing you and your loved ones success & happiness in this coming year

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi)

वर्तमान में हो रहे इस विवाद को समझने के लिए, हमें संक्षेप में 2016 पर फोकस करना होगा। यह 31 दिसंबर, साल का आखिरी दिन था। राहुल ने  ट्विटर पर कहा कि वह अगले कुछ दिनों तक यात्रा पर रहेंगे।
 
अमरिंदर का पहला साहस

गौरतलब है कि हर नए  वर्ष  पर राहुल अपने कार्यों से  ब्रेक लेकर घूमने जाते हैं।  इस समय भी यह  उनकी सामान्य सी छुटियाँ थीं, लेकिन पिछले साल यह असामान्य  हो गईं,  क्योंकि पंजाब के चुनाव होने वाले थे जहां भाजपा अपने और उसकी  सहयोगी पार्टी सत्ता  विरोधी लहर से  लड़ रही थी और कांग्रेस के मुख्यमंत्री उम्मीदवार अमरिंदर को इस बार जीतने का एक बड़ा मौका नज़र आ रहा था। इसके आगे जो घटा वह कांग्रेस में कभी नहीं हुआ था। अमरिंदर ने राहुल के बिना ही कांग्रेस घोषणापत्र जारी कर दिया था।

अमिंदर का यह साहस दो चीजें साबित करता है; एक, सोनिया गांधी अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष हैं,  जिनको विश्वास था कि अमरिंदर राहुल के बिना 'प्रबंधन' कर सकते हैं। जब भी तब कांग्रेस का चेहरा और उनका बेटा मौजूद नहीं है। दूसरी, अमरिंदर को पंजाब से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ने के लिए '10 जनपथ 'की जरूरत नहीं है।
 
अमरिंदर की दूसरी हिम्मत

अमरिंदर और राहुल के बीच में तनातनी करतरपुर के बाद खत्म नहीं हुई थी। बल्कि कांग्रेस के साथ-साथ पंजाब में भाजपा के कई लोग मानते हैं कि सिद्धू का करतरपुर जाना राहुल के समर्थन के कारण हो पाया जबकि अमरिंदर ने उन्हें पाकिस्तान जाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का  'अनुरोध' किया था।
अहंकार के इस संघर्ष की जड़ें उन दिनों से है जब अकालिस दल (शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी गठबंधन) पंजाब पर शासन कर रहे थे। प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। वह राज्य में राहुल के समर्थक थे लेकिन उनका  कोई खास जनाधार नहीं था। हालांकि वह 2002 से 2007 के बीच पंजाब में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन अमरिंदर से उनका कोई मेल नहीं था। लेकिन फिर भी उन्हें उनके खिलाफ खड़ा किया गया। अमरिंदर ने बाजवा का  'लिटिल दिल्ली' कह कर मजाक उड़ाया और जब बाजवा ने बैठक बुलाई तो लगभग कोई भी राज्य कांग्रेस नेता अमरिंदर, जो वास्तविक  'कप्तान' हैं, के साथ अपनी निष्ठा दिखाने के लिए तैयार नहीं हुआ।

हर बार, राहुल,  इस प्रकार के मुद्दों को किसी राजकुमार की तरह व्यक्तिगत रूप में ले लेते है। तो यह स्वाभाविक है कि अब जब वे पार्टी अध्यक्ष है तो वे अतीत में हुई इस प्रकार की रंजिशों  का बदला लेने की कोशिश तो जरुर करेंगे;  जैसा की अमरिंदर के साथ किया जा रहा है।

Navjot Singh Sidhu, Congress in Hyderabad: Mere captain Rahul Gandhi hain, unhone toh bheja hai har jagah (for ). Hamare Captain sahab ke bhi Captain Rahul Gandhi ji hain' pic.twitter.com/XmagrUgfWw

— ANI (@ANI)

इस बार राहुल के पास सिद्धू के रूप में बड़बोला समर्थक है, जो सौम्यता से बातें करने वाले बाजवा के विपरीत है। सिद्धू ने न केवल पाकिस्तान न जाने की अमरिंदर की 'सलाह' को ख़ारिज किया बल्कि उन्होंने वहाँ पाकिस्तानी मीडिया को बयान दिया कि वो तो पाकिस्तान ही है जिसने हमेशा से भारत-पाक शांति वार्ता को शुरू किया है। उन्होंने वतन की भावनाओं को चोट पहुंचाई है और यह वास्तव में गलत है। सिद्धू ने कारगिल युद्ध के बाद लाहौर में अटल बिहारी वाजपेयी की बस यात्रा का जिक्र भी नहीं किया। लेकिन, अब तक इस घटनाक्रम पर राहुल और उनकी मीडिया टीम बस चुप्पी साधे हुए हैं।
 
अमरिंदर की तीसरी हिम्मत 

इस बीच, सिद्धू के खिलाफ विपक्ष का दबाव बढ़ गया है। ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री राजिंदर सिंह बाजवा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "यदि वह कैप्टन अमरिंदर को उनके कप्तान के रूप में नहीं मानते हैं तो उन्हें कैबिनेट से नैतिक आधार पर इस्तीफा देना चाहिए और राहुल गांधी उन्हें जो भी काम सौंपे, वही करना चाहिए।" राजस्व और पुनर्वास मंत्री, सुखबिंदर सिंह और सरकारिया और खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी दो प्रमुख लोग हैं जो सिद्धू के खिलाफ खड़े हैं। बाजवा भी सिद्धू के इस्तीफे की मांग के लिए आगे आए है।

इस बीच, पंजाब में बड़े-बड़े पोस्टर तन गये हैं जिस पर  अमरिंदर की तस्वीर के साथ पंजाबी में पंजाब के कप्तान हमारे कप्तान हैं, लिखा हुआ है जो सिद्धू द्वारा दिए गये बयान को स्पष्ट करता है। कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने टीवी साक्षात्कार में उन पोस्टर लगाने वालों का  स्पष्ट रूप से समर्थन किया है

Ludhiana Congress MP Ravneet Singh Bittu: All the streets in Ludhiana are filled with posters that say 'Punjab's captain is our captain'. This is people's sentiment. Navjot Singh Sidhu should apologise. If he considers CM his father, why is he hesitating in apologising?. pic.twitter.com/MUzxOKP0MO

— ANI (@ANI)

पंजाब कांग्रेस इस मुद्दे पर सतर्क है लेकिन वह सिद्धू के खिलाफ कोई गलती नहीं करना चाहती। सिद्धू बजवा से ज्यादा लोकप्रिय हैं। पंजाब कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल के खिलाफ है। ऐसा एक पुराने कांग्रेस व्यक्ति ने माय नेशन को नाम ना आने की शर्त पर बताया कि टीम में केवल एक कप्तान हो सकता है और इस वक्त पंजाब का कप्तान अमरिंदर है जिसे पंजाब की जनता ने चुना है।'

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