हाथ न हाथी अब अखिलेश करेंगे अकेले साइकिल की सवारी

By Team MyNationFirst Published Sep 10, 2019, 2:22 PM IST
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पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अखिलेश यादव ने आगामी चुनावों में किसी भी राजनैतिक दल के साथ नहीं करने का फैसला किया है। पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने के बाद अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ और लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया था। 

लखनऊ। आगामी विधानसभा उपचुनाव और 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। असल में अभी तक राजनैतिक गठबंधनों का कड़वा अनुभव मिलने के बाद अखिलेश यादव ने चुनावों में अकेले लड़ने का फैसला किया है। अखिलेश को इसके लिए उनके पिता मुलायम सिंह ने भी सीख दी थी। लिहाजा गठबंधन के बावजूद विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अखिलेश यादव ने ये फैसला लिया है। 

पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अखिलेश यादव ने आगामी चुनावों में किसी भी राजनैतिक दल के साथ नहीं करने का फैसला किया है। पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने के बाद अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ और लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया था।

विधानसभा चुनाव में पार्टी को कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का कोई फायदा नहीं हुआ और उसे महज 47 सीटें ही मिली। जबकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने के बावजूद सपा पांच सीटों में सिमट गई और बहुजन समाज पार्टी 10 सीटें जीतने में कामयाब रही।

हालांकि रालोद को चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। लिहाजा अभी तक के अपने अनुभवों को देखते हुए अखिलेश यादव ने प्रदेश में होने वाले आगामी चुनाव किसी भी राजनैतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है। 

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद सपा संरक्षक मुलायम सिंह ने भी कहा था कि उन्होंने अखिलेश से चुनावी गठबंधन के लिए मना किया था। लेकिन अखिलेश ने एक नहीं मानी। लिहाजा अब अपने पिता की नसीहत के बाद अखिलेश ने राजनैतिक तौर पर बड़ा फैसला किया है। अखिलेश यादव राज्य में होने वाले आगामी उपचुनाव में अकेले चुनाव लड़ेंगे।

हालांकि कुछ दिन पहले अखिलेश यादव सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के साथ मुलाकात हुई थी। जिसमें उपचुनाव के लिए गठबंधन की बात कही जा रही थी। लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों में कोई फैसला नहीं हो सका।

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