अब चीन को सबसे बड़ा झटका देने की तैयारी में मोदी सरकार, जानें कौन का बदलेगी नियम

Published : Jul 17, 2020, 08:04 PM IST
अब चीन को सबसे बड़ा झटका देने की तैयारी में मोदी सरकार, जानें कौन का   बदलेगी नियम

सार

असल में चीन ने भारत को कमजोर करने की रणनीति के तहत भारत में निवेश किया हुआ है और चीन की कंपनियां भारत के स्टार्टअप वेंचर में काफी पैसा लगा रही हैं। लेकिन गलवान घाटी में सीमा विवाद के बीच भारत और चीन के रिश्तों में आई दरार के बाद भारत सरकार अब चीन को झटका देने की रणनीति पर काम कर रही है।

नई दिल्ली। केन्द्र की नरेद्र मोदी सरकार अब चीन को सबसे बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। अब केन्द्र की मोदी सरकार विदेशी निवेश के लिए नियम बना रही है। जिसके कारण चीनी उत्पादों का भारत ने निवेश करना आसान नहीं होगा। जानकारी के मुताबिक भारत सरकार एफडीआई के जरिए चीनी निवेश पर शिकंजा कसने की तैयारी में है और इसके जरिए चीन से कर्ज या ईसीबी के जरिए निवेश करना आसान नहीं होगा।


असल में चीन ने भारत को कमजोर करने की रणनीति के तहत भारत में निवेश किया हुआ है और चीन की कंपनियां भारत के स्टार्टअप वेंचर में काफी पैसा लगा रही हैं। लेकिन गलवान घाटी में सीमा विवाद के बीच भारत और चीन के रिश्तों में आई दरार के बाद भारत सरकार अब चीन को झटका देने की रणनीति पर काम कर रही है। भारत सरकार ने चीन को झटका देते हुए चाइनीज ऐप को पहले ही बैन कर दिया है। वहीं अब भारत सरकार सरकारी कंपनियों और देश में निवेश से बाहर करने के लिए चीन से होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए नए नियम बनाने की तैयारी में है।

इस नियम के बन जाने के बाद भारत में चीन का निवेश करना आसान नहीं होगा। यही नहीं चीनी कंपनियां अन्य देशों के जरिए भी भारत में निवेश नहीं कर सकेंगी। असल में चीन कंपनियां सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में अपनी कंपनियां बनाकर भारत में निवेश चीन से कर्ज या ECB से निकती हैं।  फिलहाल इस पर भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी और वित्तमंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जल्दी ही भारत सरकार इसके लिए नियम बनाएगी।

जानकारी के मुताबिक हाल में एफडीआई नियमों में भारत सरकार ने बदलाव किया है और सरकार का कहना है कि जिन देशों के साथ भारत की सीमा लगी हुई हैं उन देशों को भारत में किसी भी सेक्टर में निवेश से पहले भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी। क्योंकि कोविड-19 के कारण विदेशी कंपनियां खस्ताहाल भारतीय कंपनियों में निवेश कर उनका अधिग्रहण कर सकती हैं।
 

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