नृपेंद्र मिश्रा को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी, हो सकते हैं जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल

By Team MyNation  |  First Published Aug 31, 2019, 9:10 AM IST

असल उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस रहे नृपेन्द्र मिश्रा ने पीएम मोदी से कार्यमुक्त करने का अनुरोध किया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया गया है। लिहाजा चर्चा है कि मिश्रा के प्रशासनिक क्षमताओं को देखते हुए उन्हें दिल्ली या फिर जम्मू कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है। 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को जल्द ही कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। मिश्रा ने पीएम नरेन्द्र मोदी से रिटायरमेंट की गुजारिश की है। लिहाजा वह अगले महीने रिटायर हो जाएंगे। हालांकि सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि नृपेन्द्र मिश्रा के कद और पीएम मोदी से उनकी नजदीकियों को देखते हुए उन्हें जल्द ही कोई अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। मिश्रा को जम्मू कश्मीर या फिर दिल्ली का राज्यपाल बनाया जा सकता है।

असल उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस रहे नृपेन्द्र मिश्रा ने पीएम मोदी से कार्यमुक्त करने का अनुरोध किया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया गया है। लिहाजा चर्चा है कि मिश्रा के प्रशासनिक क्षमताओं को देखते हुए उन्हें दिल्ली या फिर जम्मू कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।

दिल्ली में भी अगले साल चुनाव होने हैं। नृपेन्द्र मिश्रा यूपी कैडर के 1967 बैच के आईएसएस हैं और पीएम नरेद्र मोदी के प्रमुख सचिव बनने से पहले वह उत्तर प्रदेश और केन्द्र में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। वह टेलीकॉम सचिव और ट्राई के अध्यक्ष  भी रह चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि मिश्रा को केंद्र शासित राज्य दिल्ली या फिर जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाना या जा सकता है। 

गौरतलब है ककि नृपेंद्र की कार्य मुक्ति की पुष्टि खुद पीएम मोदी ने ट्विटर पर की है और उनके मुताबिक वह सितंबर के दूसरे सप्ताह में इस जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगे। पीएम मोदी ने ट्वीट किया, '2019 के चुनाव नतीजे आने के बाद नृपेंद्र मिश्रा जी ने खुद को प्रिंसिपल सेक्रटरी के पद से सेवामुक्त किए जाने का अनुरोध किया था।

तब मैंने उनसे वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद पर बने रहने का आग्रह किया था।'  पीएम ने मिश्रा के कार्य की तारीफ भी की। उन्होंने आगे लिखा, '2014 में जब मैंने प्रधानमंत्री के रूप में दायित्व संभाला, तब मेरे लिए दिल्ली भी नई थी और नृपेंद्र मिश्रा जी भी नए थे। लेकिन दिल्ली की शासन-व्यवस्था से वे भली-भांति परिचित थे। उस परिस्थिति में उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रटरी के रूप में अपनी बहुमूल्य सेवाएं दीं।'

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