पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के एक नजदीकी मौलाना ने बयान दिया है कि वह हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाने का मिशन चला रहा है। वह इस काम को काफी पहले से करता आ रहा है। उसके पुरखे भी यही काम करते थे और उसके बच्चे भी यही करेंगे। यानी यह लोग 12-14 साल की मासूम हिंदू बच्चियों पर जुल्म करते रहेंगे और यह सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहेगा।
नई दिल्ली: पाकिस्तान के सिंध प्रांत के धरकी शहर में रहने वाला एक मौलवी है अब्दुल खालिक मीथा। वह बड़े गर्व से स्वीकार करता है कि उसका मिशन हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाना है। उसने एक भारतीय अखबार से बात करते हुए बताया कि वह हिंदू लड़कियों को मुस्लिम बनाने का मिशन चला रहा है. ये काम वह बहुत पहले से कर रहा है और इसे आगे भी चलाता रहेगा।
इस मौलवी ने ये भी दावा किया उसके 9 बच्चे भी इसी मिशन पर काम करेंगे, क्योंकि उसके पुरखे भी यही काम करते थे।
पाकिस्तान में हिंदुओं की दुर्दशा की पोल खुली
इस मौलवी के बयान से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा की पोल खुल गई है। मीथा के बयान से खुलासा होता है कि कैसे पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई समुदाय के लड़कियों को सांगठनिक तरीके से मुसलमान बनाने का काम जारी है। वहां जबरन धर्म परिवर्तन करा के शादी कराने की घटनाएं जोर पकड़ रही हैं। इसके पीछे इसी अब्दुल खालिक मीथा जैसे मौलवियों की प्रेरणा रहती है।
पाकिस्तान में जुल्म के खिलाफ अमेरिकी सांसदों ने उठाई आवाज
पाकिस्तान में दूसरे धर्म की नाबालिग लड़कियों का अपहरण और उनका बेमेल विवाह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियों में रहता है। अमेरिका के 10 सांसदों ने इस मामले में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चिट्ठी लिखी है। जिसमें उनसे अनुरोध किया गया है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के अमेरिका दौरे के समय ट्रंप उनसे इस मसले पर चर्चा करें।
पाकिस्तान पीएम इमरान खान का नजदीकी है अब्दुल मीथा
खास बात यह है कि लड़कियों का धर्मांतरण कराने वाला अब्दुल खालिक मीथा खुद भी इमरान खान का बेहद नजदीकी बताया जा रहा है। वह सिंध प्रांत की भरचूंदी दरगाह का मौलवी है, जो कि नाबालिग लड़कियों के जबरन धर्मांतरण के लिए कुख्यात है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंध प्रांत में सबसे ज्यादा धर्मांतरण होता है।
पिछले एक साल में सिर्फ सिंध प्रांत में हिंदू अल्पसंख्यकों के धर्मांतरण के एक हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। सिंध में धर्मांतरण का खेल सबसे ज्यादा उसी भरचूंदी दरगाह में होता है जहां का मौलवी यह अब्दुल खालिक मीथा है। पाकिस्तान के सूत्रों के मुताबिक मीथा ने पिछले नौ सालों में अकेले 450 हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण अपनी दरगाह में कराया है।
मीथा ने कबूल किया है अपना गुनाह
एक भारतीय मीडिया संस्थान से बात करते हुए मीथा ने कुबुल किया है कि 'हां, मैंने हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण के लिए दरगाह में इंतजामात किए हैं। मैं लड़कियों को उनके घर से दरगाह तक लाने के लिए कोई टीम नहीं भेजता। मेरे पुरखों ने हिंदुओं का धर्मांतरण कराकर इस्लाम की सेवा की है। मैं भी इसी मिशन पर हूं और मेरे बच्चे भी इसी रास्ते पर चलेंगे।'
भारतीय महिला से शादी करना चाहता है मीथा
मीथा की उम्र 78 साल है। उसके नौ बच्चे भी हैं। उसकी बीवी मर चुकी है। लेकिन अब भी उसकी ख्वाहिशें जवान हैं। वह कहता है कि ‘मेरे फॉलोअर्स चाहते हैं कि मैं एक निकाह और करूं। इसलिए अपने लिए दुल्हन भी खोज रहा हूं। मेरी ख्वाहिश है कि नई बेगम हिंदुस्तान से हो।’
पाकिस्तान में हिंदुओं का जीवन नर्क
मीथा जैसे लोगों के ही कारण पाकिस्तान में हिंदुओं का जीवन नर्क से बदतर हो गया है। वहां जबरन धर्म परिवर्तन और लड़कियों के अपहरण की घटनाएं आम हैं। इस्लाम के प्रसार के नाम पर इस तरह की वारदातों को वहां सामाजिक स्वीकृति भी मिल जाती है। यही कारण है कि पाकिस्तान से हर साल हजारों हिंदू भागकर भारत आ जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में अभी दो लाख से ज्यादा पाकिस्तानी हिंदू शरण लिए हुए हैं। यह लोग पाकिस्तान में मीथा जैसे लोगों के जुल्मो सितम की वजह से लौटकर जाना नहीं चाहते हैं। इसमें से लगभग सवा लाख लोग तो सिर्फ राजस्थान में हैं।