लाइव बातचीत के दौरान झारखंड की मनीता देवी ने बताई, बच्चे को ‘जिंदा’ करने की कहानी। सुनकर आश्चर्य में पड़ गए प्रधानमंत्री।
पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश की आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से बात की। बातचीत के दौरान पीएम ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की जमकर तारीफ की और उन्हें भारत की सच्ची बेटी बताया। पीएम से लाइव बातचीत के दौरान झारखंड के सरायकेला के उर्माल की रहनेवाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मनीता देवी ने एक घटना की जानकारी पीएम मोदी को दी।
मनीता ने बताया कि उसने उर्माल इलाके में रहने वाली मनीषा देवी के प्रसव से पहले पूरी जांच की थी। 27 जुलाई 2018 को रात दो बजे उसे मनीषा के प्रसव पीड़ा के बारे में बताया गया। जबतक मनीता मनीषा के घर पहुंचती तबतक उनका प्रसव हो चुका था। प्रसव के बाद बच्चा रो नहीं रहा था। घरवालों को लगा, कि बच्चा मरा पैदा हुआ है।
मनीता ने आगे बताया कि जब वह मनीषा के घर पहुंची तो उन्होंने घरवाले से बच्चा दिखाने की जिद की। तब मनीषा के घरवाले बोले कि तुम बच्चे को देखकर क्या करोगी। इसके बाद भी मनीता ने बच्चा दिखाने की अपनी जिद जारी रखी। मनीता की जिद के आगे हारते हुए मनीषा के घरवालों ने उसे बच्चा दे दिया। जब बच्चा मनीता की गोद में आया तो उसने देखा कि बच्चे की धड़कन चल रही है। तब मनीता ने जल्दी से एक पाइप के जरिए बच्चे के नाक और मुंह से पानी निकाला और इसके तुरंत बाद बच्चा रोने लगा। मनीता ने बच्चे की मां को उसे अपना दूध पिलाने को कहा। इसके बाद नवजात और मां को अस्पताल ले जाया गया, जहां दोनों का इलाज हुआ।
इस घटना को सुनने के बाद पीएम मोदी ने जोर से ताली बजाई और मनीता की तारीफ की। पीएम ने कहा, 'हर देशवासी इस बात को सुन रहा है। कोई कल्पना कर सकता है कि आदिवासी इलाके में पैदा हुई मनीता ने अपनी सामान्य बुद्धि से बच्चे को बचा लिया। जो हिम्मत डॉक्टर दिखाते हैं, वह हिम्मत मनीता ने दिखाई। मनीता ने जीवन को बचाने का काम किया है। जीवन देने और जीवन बचाने वाला भगवान से कम नहीं होता है।' इसके बाद मनीता ने पीएम मोदी को उस बच्चे और उसकी मां को भी दिखाया।
पीएम मोदी ने इस चर्चा के दौरान एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों द्वारा मेडल जीतने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस बार के एशियाड में कितने ही गरीब खिलाड़ियों ने देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। देश को मेडल दिलाया। पीएम ने कहा, 'झुग्गी झोपड़ी में पैदा हुए खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया। खेल के मैदान में इन खिलाड़ियों ने अपनी ताकत दिखाई। इसका क्रेडिट भी कहीं न कहीं आशा वर्कर और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को जाता है क्योंकि उन मेडलवीरों के जन्म से लेकर शुरुआती दिनों में आपने उनकी चिंता की। आप कल्पना कर सकते हैं कि आपने देश को गोल्ड मेडल दिलवाया है। ये आपके कारण हुआ है। इसीलिए मैं आपका गौरवगान करता रहता हूं।'