महाराष्ट्र में बदलाव की राजनीति, मातोश्री नहीं दस जनपथ से चलेगी साहेब की ‘सरकार’

By Harish TiwariFirst Published Nov 11, 2019, 5:19 PM IST
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असल में अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने के फैसले को सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है। सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। ये चुनाव राज्य की तत्कालीन भाजपा और शिवसेना सरकार के खिलाफ लड़ा था। लेकिन अब शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ सशर्त सरकार बनाने जा रही है।

मुंबई। महाराष्ट्र में बदलाव की राजनीति शुरू हो गई है। शिवसेना ने करीब तीन दशक तक भाजपा के साथ गठबंधन की राजनीति करने के बाद इसे तोड़ दिया है। पहली बार राज्य शिवसेना के मुखिया के घर का नेता राज्य में मुख्यमंत्री के पद पर बैठने जा रहा है। क्योंकि अभी तक ठाकरे परिवार का कोई भी सीएम नहीं बना है। वहीं अब महाराष्ट्र की सत्ता का केन्द्र मातोश्री नहीं बल्कि दस जनपथ होने जा रहा है। जहां से अब महाराष्ट्र की सरकार चलेगी।

असल में अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने के फैसले को सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है। सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। ये चुनाव राज्य की तत्कालीन भाजपा और शिवसेना सरकार के खिलाफ लड़ा था। लेकिन अब शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ सशर्त सरकार बनाने जा रही है। जबकि उनसे तीन दशक पुराने साथी भाजपा का गठबंधन भी तोड़ दिया है।

इसी गठबंधन के तहत शिवसेना ने केन्द्र सरकार में अपने कोटे के मंत्री अरविंद सावंत का भी इस्तीफा दिला दिया है। क्योंकि एनसीपी ने पहली शर्त रखी थी कि शिवसेना को नए गठबंधन के लिए पुराने साथी भाजपा से किनारा करना होगा। लिहाजा अब राज्य में शिवसेना और भाजपा अलग अलग हो गए हैं। हालांकि नए गठबंधन के लिए शिवसेना को किस किस का त्याग करना पड़ रहा है। ये उसे ही मालूम है। लेकिन इतना तय है कि पिछले तीन दशक में राज्य की सियासी शक्ति मातोश्री से शिफ्ट होकर दिल्ली के दस जनपथ पर आ गई हैं।

जहां कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी राज्य की सरकार को कंट्रोल करेगी। क्योंकि शिवसेना के पास महज 56 विधायक हैं। वहीं एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 54 विधायक हैं। फिलहाल सोनिया गांधी के दिल्ली आवास पर कांग्रेस के दिग्गज नेता इस मामले में अंतिम फैसला लेने के लिए पहुंचे हैं। कांग्रेस के 44 विधायकों में 37 विधायक सरकार बनाने के पक्ष में हैं। इसके जरिए जहां कांग्रेस भाजपा से एक राज्य छिनने जा रही है। वहीं वह एक मजबूत सहयोगी को भी भाजपा से छिन रही है।

अगर देखें तो सोनिया गांधी के खाते में अध्यक्ष बनने के बाद ये बड़ी उपलब्धि हो सकती है। हालांकि सोनिया गांधी के नेतृत्व में हरियाणा में कांग्रेस फिर से मजबूत हुई है। वहीं कांग्रेस का एक वर्ग सरकार से दूर रहने की बात कर रहा है। क्योंकि कांग्रेस के इस धड़े का कहना है कि कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है और वहीं अगर शिवसेना से बेमेल शादी होती है तो इससे कांग्रेस को ही नुकसान होगा।
वहीं एनसीपी नेता ने इस मामले की पूरी गेंद सोनिया गांधी के पाले में डाल दी है। उन्होंने साफ किया है कि इस मामले में जो भी फैसला सोनिया गांधी लेंगी। उसें एनसीपी मानेगी।

खबर ये भी आ रही है कि  सोनिया गांधी ने शरद पवार को आगे बढ़ने की स्वीकृति दे दी है। इसके तहत सीएम शिवसेना से होगा। वहीं अन्य विभागों के बंटवारे के लिए सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय किया जाएगा और इसी के आधार पर सरकार चलेगी। फिलहाल महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेताओं केसात ही राजीव सातव, माणिक राव ठाकरे, अशोक चव्हाण, अविनाश पांडेय भी बैठक में पहुंचे। वहीं एके एंटोनी, अहमद पटेल समेत कई नेता पहले से मौजूद हैं।

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