राष्ट्रपति के अभिभाषण में मोदी सरकार की चुनावी रणनीति की झलक

By Anshuman Anand  |  First Published Jan 31, 2019, 6:17 PM IST

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज बजट के पूर्व अपना अभिभाषण दिया। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। लेकिन इस दौरान देश के सर्वोच्च पद पर आसीन शख्सियत ने जो आंकड़े दिए, वह बड़ी ही दिलचस्प कहानी बयां करते हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि अपने कार्यकाल में किस तरह मोदी सरकार ने द्वारा उठाए गए कदमों से बिल्कुल नए तरह के वोटरों के समूह को उसके साथ जुड़ा है। जो कि शायद पहले बीजेपी का पारंपरिक वोटर नहीं था या फिर उससे नाराज चल रहा था। 
आईए आपको चरणबद्ध तरीके से बताते हैं कि कैसे मोदी सरकार ने कितने नए वोटरों को जोड़ा है जो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसकी जीत की नींव तैयार कर सकते हैं। 

ग्रामीण इलाकों में बीजेपी के मजबूत होते पांव

बजट से पहले राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में जानकारी दी कि ‘पिछले साढ़े चार वर्षों में सरकार की ग्रामीण आवास योजनाओं के तहत 1 करोड़ 30 लाख से ज्यादा घरों का निर्माण किया जा चुका है’। 
यही नहीं ‘एक लाख 16 हजार ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फायबर से जोड़ दिया गया है तथा लगभग 40 हजार ग्राम पंचायतों में वाई-फाई हॉटस्पॉट लगा दिए गए हैं’ और ‘प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना’ के तहत अब तक 2 करोड़ 47 लाख घरों में बिजली का कनेक्शन दिया जा चुका है’  
राष्ट्रपति ने बताया कि ‘उनकी सरकार ने 22 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एम.एस.पी. को फसल की लागत का डेढ़ गुना से अधिक करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है’। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उठाए गए मोदी सरकार के इन कदमों की जो जानकारी दी, वह एक नई कहानी की ओर इशारा करती है। दरअसल बीजेपी को हमेशा से शहरी और मध्य वर्ग की पार्टी माना जाता रहा है। आम तौर पर कहा जाता है कि देश के ग्रामीण इलाकों के लोगों में बीजेपी की पकड़ कमजोर है। इसकी वजह यह है कि ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर स्थानीय मुद्दों के आधार पर वोट पड़ते हैं, जबकि बीजेपी केन्द्रीय मुद्दों के आधार पर राजनीति करती है। 

लेकिन राष्ट्रपति द्वारा आज दिए गए आंकड़ों में गिनाए गए ग्रामीण इलाकों में बने 1.3 करोड़ घर, लाखो गांवों में बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी और न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़गुना वृद्धि जैसे कदम देश के गांवों में बीजेपी के वोट बैंक को मजबूती प्रदान करती है। 
इसके अलावा गांवों की गलियों तक पक्की कंक्रीट सड़कों के निर्माण जैसे कदमों ने भी ग्रामीण इलाकों में बीजेपी के पांव मजबूती से जमा दिए हैं। 
बीजेपी के इस नए वोटबैंक का असर 2019 के लोकसभा चुनाव में दिख सकता है।

महिलाओं के लिए उठाए गए कदम हो सकते हैं मास्टर स्ट्रोक 

महिलाएं देश की आधी आबादी हैं और बड़ी संख्या में मतदान में हिस्सा लेती हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने अभिभाषण में मोदी सरकार द्वारा महिलाओ के हितों के लिए उठाए गए कई कदमों की जानकारी दी। 
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘कामकाजी महिलाओं को, अपने नवजात शिशुओं के अच्छी तरह लालन-पालन का पर्याप्त समय मिल सके, इसके लिए मैटरनिटी लीव को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है’। 
उन्होंने आगे कहा कि ‘दीन दयाल अंत्योदय योजना’ के तहत लगभग 6 करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। ऐसे महिला स्वयं-सहायता समूहों को मेरी सरकार द्वारा 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण उपलब्ध कराया गया है’। 
इसके अलावा राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का सबसे अधिक लाभ महिलाओं को ही मिला है। अब तक देशभर में दिए गए 15 करोड़ मुद्रा लोन में से 73 प्रतिशत लोन महिला उद्यमियों ने प्राप्त किए हैं। 
राष्ट्रपति ने देश को जानकारी दी कि ‘उनकी सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत अब तक 6 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन दिए हैं’। 

महिलाओं के हित में उठाए गए इन कदमों ने आधी आबादी में मोदी सरकार की लोकप्रियता बढ़ाई है। क्योंकि इसमें शहरों में रहने वाली कामकाजी महिलाओं के हितों से लेकर लकड़ी और कोयले के चूल्हों पर खाना बनाने वाली ग्रामीण महिलाओं का भी ध्यान रखा गया है। 
आम तौर पर माना जाता है कि महिलाएं जाति धर्म के बंधनों से उठकर वोट देती हैं। ऐसे में महिलाओं के रुप में एक बड़ा वोट बैंक मोदी सरकार ने जोड़ा है। 

नोटा कैंपेन चलाने वाले सवर्ण युवा फिर आ सकते हैं मोदी सरकार के पक्ष में 

पिछले दिनों कई वजहों से सवर्ण समाज के युवा मोदी सरकार के खिलाफ दिख रहे थे। सोशल मीडिया पर नोटा के पक्ष में कैंपेन भी चलाया जा रहा था। जिसका खमियाजा स्पष्ट रुप से पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों में देखा गया। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर बीजेपी उम्मीदवारो की हार का अंतर नोटो को पड़ने वाले वोट से कम था। 
जिससे साफ जाहिर होता है कि इन तीनों राज्यों से बीजेपी सरकार की विदाई कराने में नोटा समर्थक कैंपेन ने बड़ी भूमिका निभाई थी। 
लेकिन आज के अभिभाषण में राष्ट्रपति ने जानकारी दी कि ‘बीते शीतकालीन सत्र में संसद द्वारा संविधान का 103वां संशोधन पारित करके, गरीबों को आरक्षण का लाभ पहुंचाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। यह पहल, देश के उन गरीब युवक-युवतियों के साथ न्याय करने का प्रयास है जो गरीबी के अभिशाप के कारण वंचित महसूस कर रहे थे’।
मोदी सरकार का यह कदम नोटा समर्थक सवर्ण युवाओं को फिर से मोदी सरकार के पक्ष मे एकजुट कर सकता है। 

दिव्यांग और बीमार लोगों को मोदी सरकार द्वारा दिलाई गई राहत से बड़ा चुनावी लाभ

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में जानकारी दी कि ‘प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना’ और 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम पर ‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना’ के रूप में लगभग 21 करोड़ गरीब भाई-बहनों को बीमा सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है’। 
इसके अलावा ‘12 लाख दिव्यांग-जनों को 700 करोड़ रुपये के सहायता उपकरण दिए गए हैं’।
 ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान के तहत देश के 50 करोड़ गरीबों के लिए गंभीर बीमारी की स्थिति में, हर परिवार पर प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए तक के इलाज खर्च की व्यवस्था की गई है। सिर्फ 4 महीने में ही इस योजना के तहत 10 लाख से ज्यादा गरीब अपना इलाज करवा चुके हैं’। 

भारत में रहने वाली विशाल आबादी में शारीरिक अस्वस्थता और दिव्यांगता से पीड़ित लोगों की संख्या बेहद ज्यादा है। ऐसे लोगों का हित साधने से जुड़ा कदम उठाकर मोदी सरकार ने एक बड़ा वोट बैंक सुनिश्चित किया है। 

धार्मिक-जातीय मामलों को किनारे करके आर्थिक आधार पर लोगों को जोड़ना

मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर लोगों को जोड़ने का कार्य किया है। देश में इतने बड़े पैमाने पर सरकारी धन बिना बिचौलियों के हस्तक्षेप के जनता तक पहुंचाने की सफल कवायद कभी नहीं हुई थी। 
राष्ट्रपति ने जानकारी दी कि ‘जनधन योजना की वजह से आज देश में 34 करोड़ लोगों के बैंक खाते खुले हैं और देश का लगभग हर परिवार बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ गया है। आज जनधन खातों में जमा 88 हजार करोड़ रुपए इस बात के गवाह हैं कि कैसे इन खातों ने बचत करने का तरीका बदल दिया है’।
महामहिम ने आगे कहा कि ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ का विस्तार करने से पिछले साढ़े चार वर्ष में 6 लाख 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि लाभार्थियों तक पहुंची है। इस वजह से अब लगभग 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं। सरकार ने लगभग 8 करोड़ ऐसे नामों को भी लाभार्थियों की सूची से हटाया है, जो वास्तव में थे ही नहीं और बहुत से बिचौलिए फर्जी नाम से जनता के धन को लूट रहे थे’।

मोदी सरकार के आर्थिक आधार पर लोगों की पहचान करने और भ्रष्टाचार से बचाते हुए उनकी आय को बढ़ाने की कोशिशें रंग दिखा सकती हैं। क्योंकि जाति और संप्रदाय के बंधन से मुक्त हुए लोग वोट करते समय भी सरकार की जनहितकारी योजनाओं पर नजर रखेंगे, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। 

ग्रामीण भारत, दिव्यांग और बीमार, महिलाएं, नाराज सवर्ण युवा और जाति-धर्म के बंधन को नकारते हुए आर्थिक लाभ पाए हुए लोग आने वाले लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से मोदी सरकार की जीत की कहानी लिख सकते हैं। 
 

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