प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सपा के गढ़ आज़मगढ़ में रैली कर के मुलाय सिंह यादव को चुनौती देने का मन बना लिया। आजमगढ़ जातीय समीकरण के लिहाज़ से आज़मगढ़ हमेशा से सपा के लिए मुफ़ीद रहा है
समाजवाद का गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 14 जुलाई को होने वाली रैली से पूर्वांचल का सियासी पारा बढ़ गया है। प्रधानमंत्री यहां आ तो रहे हैं पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करने लेकिन इसके बहुत सारे सियासी मायने भी हैं।
यूपी में महागठबंधन की आहट के बीच प्रधानमंत्री मुलायम सिंह यादव की सीट पर पहली रैली कर चुनौती देने का मन बना लिये है। इस रैली के माध्यम से प्रधानमंत्री 2019 के लिये पूर्वांचल में कार्यकर्ताओं में जोश भरना चाहते है।
जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर मंदुरी हवाई पट्टी पर 14 जुलाई को होने वाली रैली में पूरे पूर्वांचल से कार्यकर्ताओं के आने की उम्मीद है। कार्यकर्म को सफल बनाने के लिए संगठन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। रैली के मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भाजपा के दिग्गज भी नजर आएंगे।
महापंडित राहुल सांकृत्यायन की घरती पर प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर लोग गदगद हैं क्योंकि 21 साल बाद कोई पीएम आजमगढ़ आ रहा है। इससे पहले 1997 में एचडी देवगौड़ा मुलायम के साथ यहां आए थे।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के गढ़ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल में अपने चुनावी समर का आगाज़ करेंगे। चुनावी श्री गणेश के लिए अभी तक मुलायम सिंह ही आजमगढ़ को चुनते आए हैं।
जातीय समीकरण के लिहाज़ से आजमगढ़ हमेशा से सपा के लिए मुफ़ीद रहा है। यादव और मुस्लिम बहुल इस संसदीय क्षेत्र में मोदी की ये रैली भाजपा के पक्ष में करिश्मा कर पाएगी या नहीं देखने वाली बात है।