अल कायदा के निशाने पर पंजाब , फिर से आतंक की आग भड़काने की बड़ी साजिश

अंसार गजवत उल हिंद को भारत में दुर्दांत आतंकी संगठन अल कायदा का मुखौटा बताया जाता है। जालंधर के इंस्टीट्यूट के हॉस्टल से गिरफ्तार हुए छात्र तैयार कर रहे थे स्लीपर सेल।

Punjab on Al-Qaida target, Zakir Musa active in state

कश्मीर घाटी में कई आतंकी वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी संगठन अंसार गजवत उल हिंद की नजरें पड़ोसी राज्य पंजाब पर हैं। एजेंसियों को मिल रहे इनपुट के मुताबिक, यह संगठन पंजाब में पैर पसारने की कोशिश कर रहा है। पंजाब में फिर से आतंकवाद की आग भड़काने की साजिश हो रही है। अंसार गजवत उल हिंद को भारत में दुर्दांत आतंकी संगठन अल कायदा का मुखौटा बताया जाता है। सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो अंसार गजवत का सरगना जाकिर मूसा को खुद कुछ समय पहले अमृतसर जा चुका है। 

पंजाब कब पहुंचा "अल कायदा" ?

10 अक्टूबर 2018 को पंजाब और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक सयुंक्त अभियान में अंसार गजवत-उल-हिंद के तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया था। ये लोग जालंधर के सीटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के हॉस्टल से गिरफ्तार किए गए थे। इनमें से एक जाकिर मूसा का चचेरा भाई है। ये लोग यहां तीन साल से इंस्टीट्यूट में पढ़ने के साथ-साथ स्लीपर सेल चला रहे थे। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियो को मिले सुराग भी इसी तरफ इशारा कर रहे है कि ज़ाकिर मूसा लगातार इनके संपर्क में था।

पंजाब को क्यों बनाना चाहते हैं निशाना ?

आतंकी संगठन हमेशा से पंजाब को निशाना बनाना चाहते हैं क्योंकि पहले भी पंजाब आतंकवाद की मार झेल चुका है। पंजाब में कुछ खालिस्तान समर्थित आतंकी '2020 में अलग राष्ट्र' यानी '2020 रेफरेंडम' के जरिये युवाओं को भड़काने में लगे हैं। अल कायदा जैसे आतंकी संगठन इसी का फायदा उठाना चाहते हैं। अल कायदा और खालिस्तानी आतंकियों के बीच की साठगांठ का खुलासा उस वक्त हुआ था जब खालिस्तानी चरमपंथी संस्था सिख फॉर जस्टिस ने जालंधर में गिरफ्तार हुए तीन अंसार गजवत उल हिंद के आतंकियों को कानूनी सहायता देने की पेशकश की थी।

घाटी में कैसे बढ़ रहा "अलकायदा" ?

जून 2016 में टॉप कमांडर बुरहान वानी के खात्मे और हिजबुल मुजाहिदीन की डगमगाती हालत को देखते हुए जाकिर मूसा ने 2017 में अपना संगठन अंसार गजवत उल हिंद बनाया। सुरक्षा एजेंसियां भी यह मान रही है कि मूसा के इस संगठन को अल कायदा का समर्थन हासिल है। वह अल कायदा के इशारे पर काम कर रहा है।

क्या है जाकिर मूसा के गायब होने का राज ?

अल कायदा के मुखोटे अंसार गजवत उल हिंद की स्थापना के बाद से ही जाकिर मूसा भूमिगत है। सुरक्षा एजेंसियों के पास उसे लेकर अलग-अलग इनपुट हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'माय नेशन' को बताया कि पिछले एक वर्ष में सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से जाकिर मूसा को लेकर चार अलग-अलग इनपुट जारी किए गए हैं।

सबसे पहला इनपुट अगस्त 2017 में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी किया गया था जिसके अनुसार, अपना संगठन बनाने के बाद से ही जाकिर मूसा दक्षिण कश्मीर के किसी गांव में छिपा है। इसके बाद लगातार 3 महीने तक सुरक्षा एजेंसियां ने दिन रात उसकी धरपकड़ की कोशिश की।

दिसंबर 2017 की शुरुआत में सुरक्षा एजेंसियों के दूसरे इनपुट में कहा गया कि अल कायदा का मुखोटा संगठन बनाने के बाद जाकिर मूसा पाकिस्तान में चल रहे ट्रेनिंग कैंप में चला गया है। वहीं से कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। इतना ही नहीं सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तान में जाकिर मूसा ने अल कायदा के लिए एक बड़ा लश्कर तैयार कर लिया है। 

अप्रैल 2018 में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दिया गया इनपुट सबसे चौंकाने वाला था। इसमें खुलासा हुआ कि सुरक्षा बलों के साथ एक एनकाउंटर में जाकिर मूसा मारा गया है और उसे दक्षिण कश्मीर के किसी अज्ञात जगह पर दफना दिया गया है। हालांकि यह खुलासा जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए भी बेहद चौंकाने वाला था, क्योंकि हर एनकाउंटर के बाद पुलिस आतंकी की पहचान करने के बाद उसका शव परिवार वालों को देती है। 

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