पल्लवी जोशी ने समझाया, राफेल सौदा कैसे है 'कम दाम में बड़ा काम'

By Team Mynation  |  First Published Aug 13, 2018, 2:38 PM IST

वीडियो में कहा गया है कि मोदी सरकार ने जो राफेल सौदा फाइनल किया है, उसमें भारत को मिसाइलों से लैस राफेल विमान मिलेगा। साथ ही इसके कई पुर्जे भारत में बनेंगे। 

फ्रांस के साथ हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भाजपा पर हमले करना जारी है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर भाजपा के घेरने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन का हवाला दिया। हालांकि पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारण ने लोकसभा में ही दस्तावेज के साथ राहुल के दावे की हवा निकाली, उसके बाद फ्रांस सरकार की ओर से भी इस मुद्दे पर बयान जारी कर कहा गया कि राहुल गांधी ने गोपनीयता समझौते को लेकर जो दावा किया है, वह सही नहीं है। 

इस बीच, सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी  वायरल हो रहा है। इसमें अभिनेत्री पल्लवी जोशी राफेल सौदे को बड़े ही आसान शब्दों में समझा रही है। यू-ट्यूब पर जारी वीडियो में कहा गया है कि मोदी सरकार ने जो राफेल डील की है, उसमें भारत को मिसाइलों से लैस राफेल विमान मिलेगा। साथ ही इसके कई पुर्जे भारत में बनेंगे। पल्लवी के मुताबिक, इस सौदे में मोदी सराकर ने देश के करीब साढ़े 12 हज़ार करोड़ रुपये बचाए हैं। 

दरअसल, कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार ने जिस विमान का सौदा किया था, उसे मोदी सरकार नए सौदे में तीन गुना कीमत में खरीद रही है। वहीं मोदी सरकार लंबे समय से कहती आ रही है कि उसने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का जो करार किया है, वह यूपीए के समय हुई डील से सस्ता है। 'माय नेशन' ने भी दस्तावेज के हवाले से इस बारे में खुलासा किया था। दस्तावेजों के मुताबिक, मोदी सरकार के समय फ्रांस से जो 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे जा रहे हैं, उनकी कीमत सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली यूपीए की सरकार के समय से कम है। तब कांग्रेस ने फ्रांस से 126 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए करार किया था। 

रक्षा मंत्रालय और वायुसेना ने इस साल राफेल सौदे से जुड़ा एक दस्तावेज तैयार किया था। इसके मुताबिक, मोदी सरकार के समय में एक राफेल विमान 1,646 करोड़ रुपये का पड़ रहा है। इसमें हथियार की लागत, रखरखाव, सिम्यूलेटर्स, मरम्मत में मदद और तकनीकी सहायता शामिल है। वहीं यूपीए शासन के समय जो सौदा किया गया था, उसमें इन सभी सुविधाओं के साथ एक राफेल की कीमत 1,705 करोड़ रुपये बैठती। यानी एक राफेल के लिए यूपीए के दौर में मौजूदा मोदी सरकार के मुकाबले 59 करोड़ रुपये ज्यादा चुकाया जाता।

रक्षा मंत्रालय के इन दस्तावेज के अनुसार, अगर मोदी सरकार अपनी पूर्ववर्ती यूपीए के समय की गई वार्ता पर ही आगे बढ़ती और उसी विमान को खरीदती तो उसे इस समय 255 करोड़ रुपये अतिरिक्त चुकाने पड़ते। दस्तावेज के अनुसार, 36 राफेल विमान की कुल कीमत 59,262 करोड़ रुपये है, जबकि 126 विमानों के लिए यूपीए के समय में 1,72,185 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। 
 

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