राजन ने बैंकों के फंसे कर्जों पर किया बड़ा खुलासा

By Team Mynation  |  First Published Sep 11, 2018, 2:51 PM IST

एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय बैंकों का करीब 10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ है। वर्ष 2016 में अपना रिजर्व बैंक के गवर्नर का कार्यकाल पूरा करने वाले रघुराम राजन ने कहा, यूपीए सरकार के समय में 'बैड लोन' की जमकर बंदरबांट हुई।

अर्थव्यवस्था को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को घेर रही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। आरबीआई के गवर्नर रहे रघुराम राजन ने एक बड़ा खुलासा करते हुए यूपीए सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यूपीए के समय में 'बैड लोन' की जमकर बंदरबांट हुई। डूबे हुए कर्ज यानी एनपीए के लिए बैंक जिम्मेदार हैं। रघुराम राजन ने एक संसदीय समिति को दिए जवाब में यह खुलासा किया है। उन्होंने कहा, सबसे अधिक बैड लोन 2006-2008 के बीच दिया गया। एनपीए के संकट पर संसदीय समिति ने राजन की विशेषज्ञ राय मांगी थी।

एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय बैंकों का करीब 10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ है। वर्ष 2016 में अपना रिजर्व बैंक के गवर्नर का कार्यकाल पूरा करने वाले रघुराम राजन ने कहा, सबसे अधिक बैड लोन 2006-2008 के बीच दिया गया, जब आर्थिक विकास मजबूत था और ऊर्जा संयंत्र जैसी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं समय पर बजट के भीतर पूरी हो गई थी। 

राजन ने कहा, 'इस दौरान बैंकों ने गलतियां की। उन्होंने पूर्व के विकास और भविष्य के प्रदर्शन को गलत आंका। वे परियोजनाओं में अधिक हिस्सा और कम प्रमोटर इक्विटी चाहते थे। वास्तव में कई बार उन्होंने प्रमोटर्स के निवेश बैंकों की प्रोजेक्ट रिपोर्टों के आधार पर ही कर्ज दे दिया। अपनी तरफ से उचित जांच-पड़ताल नहीं की।' 

उन्होंने एक उदाहरण देकर कहा, 'एक प्रमोटर ने मुझे बताया था कि कैसे बैंकों ने उसके सामने चेकबुक लहराते हुए कहा था कि जितनी चाहो राशि भर लो।' राजन ने कहा कि इस तरह के फेज में दुनियाभर के देशों में ऐसी गलतियां हुई हैं। 

उन्होंने आगे कहा, 'दुर्भाग्य से, विकास हमेशा अनुमान के मुताबिक नहीं होता है। मजबूत वैश्विक विकास के बाद आर्थिक मंदी आई और इसका असर भारत में भी हुआ।' उन्होंने कहा कि कई प्रोजेक्टों के लिए मजबूत मांग का अनुमान अव्यवहारिक था, क्योंकि घरेलू मांग में कमी आ गई। 

आकलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को दिए नोट में उन्होंने कहा, ‘कोयला खदानों के संदिग्ध आवंटन के साथ जांच की आशंका जैसी प्रशासनिक समस्याओं के कारण संप्रग सरकार तथा उसके बाद राजग सरकारों दोनों में सरकारी निर्णय में देरी हुई।’राजन ने कहा कि इससे परियोजना की लागत बढ़ी और वे अटकने लगीं। इससे कर्ज की अदायगी में समस्या हुई है। 

कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र में डूबे कर्ज यानी एनपीए की भारी समस्या के लिए कांग्रेस की अगुवाीवाली यूपीए सरकार पर निशाना साधा था। पीएम मोदी ने यूपीए के समय 'फोन पर कर्ज' के रूप में हुए घोटाले का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, ‘नामदारों’ के इशारे पर बांटे गए कर्ज की एक-एक पाई वसूली जाएगी। पीएम ने कहा था कि चार-पांच साल पहले तक बैंकों की अधिकांश पूंजी केवल एक परिवार के करीबी धनी लोगों के लिए आरक्षित रहती थी। आजादी के बाद से 2008 तक कुल 18 लाख करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए थे लेकिन उसके बाद के 6 वर्षों में यह आंकड़ा 52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

वहीं पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने पलटवार करते हुए पूछा था कि एनडीए सरकार को यह बताना चाहिए कि उनके समय में दिए गए कितने ऋण डूब गए। चिदंबरम ने इस संबंध में कई ट्वीट किए। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ' मई 2014 के बाद कितना कर्ज दिया गया और उनमें से कितनी राशि डूब (नॉन पर्फोर्मिंग एसेट्स) गई। चिदंबरम ने कहा कि यह सवाल संसद में पूछा गया लेकिन अब तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है। चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जब कहते हैं कि संप्रग सरकार के समय दिए गए कर्ज डूब गए, इस बात को अगर सही मान भी लिया जाए तो उनमें से कितने कर्जों का मौजूदा एनडीए सरकार के कार्यकाल में नवीकरण किया गया और उनमें से कितने को रॉल ओवर (वित्तीय करारनामे की शर्तों पर पुन: समझौता करना) (मतलब एवरग्रीनिंग) किया गया।’ 

उधर, राजन के खुलासे के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर हमले तेज कर दिया हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को कहा, 'राजन के खुलासे से साबित होता है कि बैंकों के एनपीए के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका वाड्रा टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद करना चाहते थे।' उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर हमला हुआ।

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