दागदार दामन वाले उछाल रहे हैं दूसरों पर कीचड़

By Anshuman Anand  |  First Published Sep 21, 2018, 2:16 PM IST

जिनके दामन खुद दागदार होते है। वह दूसरों के पर कीचड़ उछालने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं, जिससे कि लोगों का ध्यान उनके दागदार अतीत से हट जाए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कुछ ऐसी ही कोशिश कर रहे हैं।

राजस्थान में एक जनसभा करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के लिए बेहद आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया। वह राफेल घोटाले में देश का पैसा चोरी करने का इल्जाम लगा रहे थे। उन्होंने इसे नारे का रुप देते हुए कहा- गली गली में शोर है, देश का चौकीदार .................... है।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर यह हमला शायद इसलिए किया। क्योंकि कई पीढ़ियों से उनके पूरे परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते आए हैं। जिस पर से वह जनता का ध्यान हटाना चाहते हैं।

खुद राहुल और उनकी मां सोनिया नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर है। वही राहुल गांधी जब ईमानदार और सादी छवि वाले प्रधानमंत्री पर इल्जाम लगाते हैं, तो मामला सचमुच हास्यास्पद लगने लगता है।

आईए सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं, कि कब कब गांधी परिवार देश का पैसा चुराने के आरोप लगे। शुरुआत करते हैं खुद राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी से-

1.    नेशनल हेराल्ड मामला- आज से 80(अस्सी) साल पहले 1938 में राहुल गांधी के परदादा और पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्‍ड अखबार की नींव रखी थी।  इंदिरा गांधी के समय जब कांग्रेस में विभाजन हुआ तो इसका स्‍वामित्‍व इंदिरा कांग्रेस को मिला। लेकिन तथाकथित आर्थिक कारणों से 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। तब तक अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल्स कंपनी के पास था। जिसने कांग्रेस पार्टी से बिना ब्याज के 90 करोड़ का कर्ज लिया था। अप्रैल 2012 में सोनिया और राहुल गांधी की यंग इंडिया कंपनी कंपनी बनाकर एसोसिएटेड जर्नल्स को टेकओवर कर लिया। इस मामले मे आरोप है, कि यंग इंडिया ने नेशनल हेराल्ड की 1,600 करोड़ रुपये की संपत्ति सिर्फ 50 लाख में हासिल कर ली। यही नहीं अखबार प्रकाशन के लिए दी गई जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल किया गया। इस मामले में आयकर चोरी का भी इल्जाम है। यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में विचाराधीन है। जिसमें राहुल और सोनिया दोनों जमानत पर हैं। इस मामले मे लगातार सुनवाई चल रही है और आखिरी सुनवाई अब से मात्र दस दिन पहले ही हुई है। राहुल गांधी इस मामले से इतना डरे हुए हैं, कि उन्होंने इसकी मीडिया रिपोर्टिंग रोकने के लिए अदालत से गुहार लगाई थी। लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया।

2.    वाड्रा डीएलएफ केस- सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं उनके जीजा रॉबर्ट वाड्रा पर भी जमीन घोटाले का आरोप है। उनपर आरोप है, कि यूपीए सरकार के शासनकाल में सारे नियमों तो ताक पर रखकर रॉबर्ट वाड्रा को करोड़ो की जमीनें कौड़ियों से भाव से उपलब्ध कराई गई। इस मामले में राहुल गांधी की बहन प्रियंका के पति रॉबर्ट पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। जिसमें आईपीसी की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, धारा 120 बी(आपराधिक पड्यंत्र), धारा 467(फर्जीवाड़ा), धारा 468(धोखाधड़ी के लिए फर्जीवाड़ा), 471 यानी दस्तावेजों की जालसाजी और इसके अलावा प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 13 के तहत चार्ज लगाए गए हैं।

3.    बीकानेर जमीन मामला- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा जमीनें खरीदने का बहुत शौक रखते हैं। उनपर राजस्थान के बीकानेर में भी जमीन घोटाले का आरोप है। जिसमें कह गया है कि वाड्रा की कंपनियों ने राजस्थान में 275 बीघे जमीनें फर्जी नामों से खरीदी। इस मामले में भी सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका के पति पर 4 एफआईआर दर्ज की गई है। 

यह तो थे गांधी परिवार पर लगे ताजातरीन आरोप। लेकिन इससे पहले भी गांधी परिवार पर घोटालों के इल्जाम लगते रहे हैं। आइए आपको बताते हैं उनके बारे में-

4.    बोफ़ोर्स तोप दलाली मामला- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पिता और सोनिया गांधी के पति पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर 1990 के दशक में बोफोर्स तोप मामले में गंभीर आरोप लगे। जिसके मुताबिक स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफोर्स ने अपनी 155 एमएम हावित्जर तोपें बिकवाने के लिए कमीशन के तौर पर 64 करोड़ रुपए दिए। इस मामले में कई कांग्रेसी नेताओं के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी आरोप लगाए गए। इस विवाद ने 414 सीटों के बहुमत से जीतकर आए राजीव गांधी सरकार की चूलें हिला दी।

5.    मारुति विवाद- राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी भी घोटाले के आरोपों से लबरेज रहीं। 1973 में राहुल गांधी के चाचा और इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को छोटी यात्री कार बनाने का लाइसेंस दिया गया। उन्होंने मारुति टेक्निकल सर्विसेज लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई। जिसकी एमडी बनाईं गईं खुद सोनिया गांधी, जिनके पास इसका कोई तकनीकी अनुभव नहीं था। इस कंपनी को टैक्स छूट, रियायती दर पर जमीनें, फंड आदि कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। लेकिन यह कंपनी उत्पादन नहीं कर पाई और आखिरकार 1977 में इसे बंद ही कर दिया गया।

6.    मूंदड़ा स्कैण्डल- राहुल गांधी के परदादा और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु भी घोटालों के आशंका से बरी नहीं रहे। हालांकि उस समय आजादी मिले महज कुछ ही साल हुए थे। 1957 में कोलकाता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा ने सरकारी इंश्योरेन्स कंपनी एलआईसी के जरिए अपनी कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपए का निवेश कराया। हालांकि एलआईसी की इन्वेस्टमेन्ट कमिटी इस निवेश के खिलाफ थी। लेकिन सरकारी दबाव में यह निवेश करा दिया गया। जिसकी वजह से एलआईसी को करोड़ो रुपए का नुकसान हुआ। इस मामले में जवाहरलाल नेहरु ने तत्कालीन वित्तमंत्री टी.टी.कृष्णामाचारी को बचाने की हर संभव कोशिश की। लेकिन उन्हें इस्तीफा देना ही पड़ा। खास बात यह है कि इस घोटाले को खुद नेहरु जी के दामाद और राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी ने उजागर किया था। आज भी हालत यह है कि कांग्रेस और खुद गांधी परिवार में कहीं भी फिरोज गांधी का नामलेवा नहीं बचा है।

गांधी परिवार और उनपर लगे आरोपों की फेहरिस्त लंबी है। विरोधी दल हर बार इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस और गांधी परिवार को घेरते हैं। शायद यही वजह है कि राहुल गांधी ने इसके लिए पहले से ही एहतियात बरतते हुए साफ छवि वाले प्रधानमंत्री पर आरोप लगाने शुरु कर दिए हैं। जिससे कि लोगों का ध्यान उनके परिवार के कारनामों से हट जाए। 

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