कांग्रेस की सरकार बनी तो भारत को आर्थिक रुप से पाकिस्तान बना देंगे राहुल गांधी?

राहुल गांधी ने वादा किया है कि मई 2019 में यदि कांग्रेस सरकार बनती है तो देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को प्रति माह 6,000 रुपये की दर से सलाना 72,000 रुपये दिए जाएंगे. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष ने यह खुलासा नहीं किया है कि 23 मई 2019 को यदि नई सरकार उनकी पार्टी बनाती है तो इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए 3.6 ट्रिलियन रुपये की भारी-भरकम रकम को बंदोबस्त उनकी कांग्रेस सरकार कहां से करेगी?  

Rahul Gandhi universal basic income plan nyay to make indian economy at par with Pakistan

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा चुनावों में बाजी मारने के लिए एक बार फिर गरीबी उन्मूलन का सहारा लिया है. राहुल गांधी ने वादा किया है कि मई 2019 में यदि कांग्रेस सरकार बनती है तो देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को प्रति माह 6,000 रुपये की दर से सलाना 72,000 रुपये दिए जाएंगे.

सामान्य जोड़ के आधार पर इस योजना को अमल में लाने के लिए केन्द्र सरकार 3.6 ट्रिलियन रुपये (3600000000000 रुपये) अपने खजाने से खर्च करेगी.

कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के इस वादे को चुनावी गेमचेंजर मान रही है तो आर्थिक जानकार इसे सरकारी खजाने के साथ अन्याय के तौर पर देख रहे हैं. क्या वाकई राहुल गांधी का यह गेमचेंजर प्लान चुनावों के बाद भारत को पाकिस्तान की स्थिति में पहुंचाने के लिए है?

अपने इस लोकलुभावन ऐलान को ‘न्याय’ की संज्ञा देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया है कि उन्होंने बड़ी सूझबूझ के साथ यह फैसला लिया है कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद वह इस ऐलान पर अमल करेंगे. राहुल ने यह भी दावा किया कि उनके इस प्रस्ताव का समर्थन दुनिया के नामीगिरामी अर्थशास्त्री भी कर रहे हैं.

हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने ऐलान में यह खुलासा नहीं किया है कि 23 मई 2019 को यदि नई सरकार उनकी पार्टी बनाती है तो इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए 3.6 ट्रिलियन रुपये की भारी-भरकम रकम को बंदोबस्त उनकी कांग्रेस सरकार कहां से करेगी? अपने ऐलान के लोकलुभावन पक्ष को साझा करते हुए कार्यक्रम की बारीकियों को कांग्रेस अध्यक्ष ने कयास के लिए छोड़ दिया है.

देश के जाने मानें कृषिशास्त्री और केन्द्र सरकार की कृषि समिति के एक्सपर्ट सदस्य विजय सरदाना का कहना है कि राहुल गांधी का देश के 5 करोड़ परिवारों को गरीबी उन्मूलन के नाम पर 72,000 रुपये सलाना देने की योजना विश्व में मानव निर्मित विनाश का सबसे बड़ा उदाहरण बनकर सामने आएगा. इस कार्यक्रम को लागू करना एक बड़े वित्तीय संकट को न्यौता देने जैसा है और इसे लागू करने से देश में कानून-व्यवस्था बेकाबू होने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के ध्वस्त होने का गंभीर खतरा है.

सरदाना ने कहा कि आखिर कांग्रेस पार्टी दुनिया के किस अर्थशास्त्री या आर्थिक जानकार के समर्थन का दावा कर रही है. सरदाना ने कहा कि यदि वैश्विक स्तर पर ऐसे अर्थशास्त्री हैं तो क्या कांग्रेस पार्टी बताएगी कि किस देश में ऐसे किसी कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू करने का श्रेय इस अर्थशास्त्रियों के पास है? सरदाना के मुताबिक यदि कांग्रेस पार्टी गरीबों की मदद करने का कार्यक्रम तैयार कर रही है तो उसे राष्ट्र निर्माण के लिए प्रोडक्टिव मैनपावर की दिशा में काम करने की जरूरत है. उन्होंने सुझाया कि देश से बेरोजगारी के साथ-साथ गरीबी दूर करने के लिए राहुल गांधी लघु इकाइयों के लिए श्रमिकों की मांग में योगदान कर सकते हैं. इससे जहां लघु इकाइयों को सस्ती दर पर श्रमिक मिलेंगे वहीं बाजार में स्पर्धा के साथ-साथ जीडीपी को भी फायदा पहुंचेगा.

केन्द्र सरकार के राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने नाम न साझा करने की शर्त पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश में सभी को कर्जमाफी और बड़ी-बड़ी सब्सिडी की उम्मीद रहती है. ऐसे में राजनीतिक दल यदि चुनावी वादों का बोझ केन्द्र सरकार के खजाने पर डालने का काम करते हैं तो उन्हें यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसे लोकलुभान कार्यक्रमों के लिए सरकारी खजाने में राजस्व बढ़ाने की पहल कैसे की जाएगी.

इस अधिकारी ने भी कयासों का सहारा लेते हुए कहा कि क्या कांग्रेस पार्टी इस योजना को लागू करने के लिए मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के लिए इनकम टैक्स की दर को बढ़ाकर 75 फीसदी करेगी, अथवा देश के रक्षा बजट को शून्य करेगी या कॉरपोरेट टैक्स को 50 फीसदी तक पहुंचाकर अपना राजस्व बढ़ाएगी. गौरतलब है कि देश पहले से 3 फीसदी के वित्तीय घाटे की स्थिति से जूझ रहा है.

इन कयासों के बाद आम आदमी को भी देश के बजट का सारांश देखने की जरूरत है. केन्द्र सरकार के पिछले पूर्ण बजट के इस इलस्ट्रेशन से साफ है कि सरकारी खर्च में सबसे बड़ा मद देश में लिए गए कर्ज का ब्याज है. इसके बाद दूसरे नंबर पर रक्षा खर्च और सब्सिडी है. आंकड़ों के मुताबिक केन्द्र सरकार इस वर्ष जहां ब्याज अदा करने के लिए लगभग 6 ट्रिलियन रुपये का खर्च कर रही है वहीं प्रत्येक रक्षा और सब्सिडी के लिए वह 3 ट्रिलियन रुपये से अधिक का खर्च कर रही है.

केन्द्र सरकार के वार्षिक खर्च के इस संरचना को देखने के बाद एक बात पूरी तरह साफ है कि इस कार्यक्रम को 23 मई 2019 से लागू करने के लिए नई सरकार को रक्षा और सब्सिडी जैसे किसी अहम मद में अपने खर्च को शून्य करना होगा. अथवा इस रकम को जुटाने के लिए खर्च के प्रत्येक मद से कटौती करने की जरूरत पड़ेगी.


ऐसा करना यदि नई सरकार के लिए संभव नहीं है तो इस योजना को तत्काल लागू करने के लिए ब्याज की रकम में डिफाल्ट करते हुए 5 करोड़ परिवारों को 72,000 रुपये की रकम वार्षिक तौर पर दी जा सकती है. लेकिन, ऐसा कदम भारत को भी पाकिस्तान की तरह एक डिफॉल्टर देश की कतार में खड़ा कर देगा. नई सरकार को अपनी लोकलुभावन योजना के लिए पाकिस्तान की तर्ज पर ब्याज अदा करने के लिए दूसरे देशों से भीख मांगने का विकल्प बचा रहेगा.

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