फिलहाल राहुल गांधी अगले तीन चार दिनों में होने वाली कार्यसमिति (सीडब्लूसी) की बैठक से भी दूर रहेंगे। यही नहीं गांधी परिवार का कोई सदस्य सीडब्लूसी की इस बैठक में शामिल नहीं होगा, जिसके बाद बीजेपी सीधे तौर पर गांधी परिवार पर वंशवाद का आरोप नहीं लगा सकेगी।
राहुल गांधी पांच जुलाई को बजट के बाद विदेश के दौरे पर जा रहे है। इस दौरे में उनके साथ उनकी मांग सोनिया गांधी भी रहेंगी। हालांकि राहुल गांधी के इस्तीफे देने के बाद नए अध्यक्ष का चुनाव कांग्रेस कार्यसमिति करेगी। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि राहुल गांधी और गांधी परिवार के सदस्य सीडब्लूसी की इस अहम बैठक से दूर रहेंगे।
असल में राहुल सभी को ये संदेश देना चाहते हैं कि समिति की बैठक में अध्यक्ष को लेकर फैसला किया है और इसमें गांधी परिवार का कोई दबाव नहीं है। जिसके जरिए बीजेपी के वंशवाद के आरोप का खारिज करना गांधी परिवार के लिए आसान होगा। हालांकि ये पहले से तय है कि कांग्रेस में जिसे भी नया अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा, वह गांधी परिवार का ही खास होगा।
अभी तक जितने भी नामों पर चर्चा हुई है, वह गांधी परिवार के ही करीबी माने जाते हैं। यही नहीं कांग्रेस के भीतर कोई नहीं चाहता है कि पार्टी का अध्यक्ष बगैर गांधी परिवार की रजामंदी से हो। लेकिन सच्चाई ये भी रहेगी कि गांधी परिवार इस बैठक में शामिल नहीं होगा, जिसके बाद बीजेपी सीधे तौर पर गांधी परिवार पर वंशवाद का आरोप नहीं लगा सकेगी।
फिलहाल मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक राहुल गांधी अगले तीन चार दिनों में होने वाली कार्यसमिति (सीडब्लूसी) की बैठक से भी दूर रहेंगे। राहुल गांधी कल आने वाले बजट में तो दिल्ली में रहेंगे और उसके बाद विदेश के दौरे पर चले जाएंगे।
जानकारी के मुताबिक सोनिया और राहुल पांच जुलाई को बजट पेश किए जाने के बाद विदेश दौरे पर जा रहे हैं और इस बैठक में गांधी परिवार का कोई भी सदस्य शामिल नहीं होगा।
ऐसा पहली बार होगा कि जब गांधी परिवार का कोई सदस्य सीडब्लूसी की बैठक में शामिल नहीं होगा। असल में बीजेपी द्वारा राहुल गांधी और गांधी परिवार पर वंशवाद के आरोप के बाद राहुल गांधी ये संदेश देना चाहते हैं कि गांधी परिवार की गैरमौजूदगी में सीडब्लूसी ने अध्यक्ष चुना है।
राहुल गांधी ने जब 25 मई की सीडब्लूसी की बैठक में साफ कर दिया था कि नया अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने प्रियंका के नाम को भी खारिज कर दिया था। लिहाजा राहुल इसके जरिए ये दिखाना चाहते हैं कि अध्यक्ष के रूप में पार्टी गांधी परिवार के वंशवाद से मुक्त हो गयी है।