Sachin Pilot Love Story: राजस्थान चुनाव के लिए नामांकन करते हुए दाखिए हलफनामें में सचिन पायलट ने खुदको तलाकशुदा बताया है। जिसके बाद से उनकी पत्नी सारा अब्दुल्लाह और सचिन पायलट की लव स्टोरी की चर्च हो रहे हैं। दोनों बड़े परिवारों से ताल्लुक रखते थे, लेकिन बाद भी दोनों ने परिवार के खिलाफ जाकर शादी की।
नेशनल डेस्क। राजस्थान चुनाव में सियासत चरम पर है। राजनीतिक दलों की ओर से नामांकन का दौर जारी है। इसी बीच राज्य में कांग्रेस पार्टी का युवा चेहरा कहे जाने वाले सचिन पायलट से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। मंगलवार को उन्होंने टोंक विधानसभा से पर्चा भरा। इस दौरान दाखिए किए गए चुनावी हलफनामें में सचिन पायलट ने खुदको तलाकशुदा बताया। उन्होंने पत्नी के नाम के आगे तलाकशुदा लिखा है।
सचिन पायलट और सारा पायलट का तलाक
आपको जानकर हैरानी होगी, सचिन पायलट की पत्नी कोई और नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा से हुई थी। सारा उमर अब्दुल्ला की बहन है। 2018 के चुनावों में सचिन ने एफिडेबिट में सारा को पत्नी का दर्जा दिया था लेकिन 2023 में उन्होंने खुद को तलाकशुदा करार दिया है। 2018 तक सब ठीक था, जब सचिन राजस्थान के डिप्टी सीएम बनें तो सारा दो बेटों आरन और विहान के साथ मंच पर मौजूद थे लेकिन इन पांच सालों में दोनों का रिश्ता कैसे टूट गया ये आश्चर्य का विषय बना हुआ है।
मजहब की दीवार गिराकर थामा था साथ
सचिन-सारा ने 2003 में अजमेर में सारा से शादी रचाई थी। दोनों की शादी की चर्चे दूर-दूर तक हुए थे। क्योंकि राजनीति से ताल्लुक रखने वाले दो परिवारों के बीच मजहब की दीवार गिराई गई थी। सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट कांग्रेस के बड़े नेता थे,वहं फारूक अबदुल्ला जम्मू-कश्मीर के बड़े नेता। ऐसे में ये शादी हाईप्रोफाइल शादियों में से एक थी।
लंदर में मुलाकात, फिर प्यार चढ़ा परवान
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सचिन-सारा की मुलाकात लंदन में पढ़ाई के दौरान हुई थी। धीरे-धीरे प्यार चढ़ा दोनों ने एक-दूसरे को तीन सालों तक डेट किया। हालांकि अलग-अलग धर्म से होने के कारण ये आसान नहीं था। सचिन और सारा एक दूसरे से शादी करने की जिद पर अड़े रहे जिसके बाद राजेश पायलट और फारूक अबदुल्ला ने बच्चों की खातिर शादी के लिए हां कह दिया। शादी के बाद सचिन राजनीति में आए। 2009 में वह पहली बार अजमेर से सांसद बने और राजस्थान में युवाओं की आवाज बनकर उभरें 2018 में टोंक विधानसभा सीट से विधायक बने और उप मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
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