Rajasthan News: ठोस सुबूत...मजबूत गवाह, फिर भी जज ने नहीं दी फांसी, कहा,"...पापों का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा"

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Mar 15, 2024, 12:46 PM IST

राजस्थान के कोटा डिस्ट्रिक्ट पाक्सो कोर्ट में नाबालिक छात्रा से अप्राकृतिक दुष्कर्म करने के आरोपी मौलवी को एक जज ने अपने शायराना अंदाज में उम्र कैद की सजा सुनाई। जज ने कहा कि "तुम्हारी आंखों से बहते आंसू तुम्हारा घर नहीं देख पाएगा, फांसी देने से वह अपने पापों का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा।"

कोटा। राजस्थान के कोटा डिस्ट्रिक्ट पाक्सो कोर्ट में नाबालिक छात्रा से अप्राकृतिक दुष्कर्म करने के आरोपी मौलवी को एक जज ने अपने शायराना अंदाज में उम्र कैद की सजा सुनाई। जज के शायराना अंदाज पर कोर्ट में मौजूद अधिवक्ताओं संग आम लोगों ने भी खूब वाहवाही की। साथ में आरोपी मौलवी पर ₹21000 का जुर्माना भी लगाया। जज ने पीड़ित बच्चों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि "तुम्हारी आंखों से बहते आंसू तुम्हारा घर नहीं देख पाएगा, फांसी देने से वह अपने पापों का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा।"

अरबी पढ़ने गया था बच्चा, मौलवी ने बनाया था हवस का शिकार
कोटा पाक्सो कोर्ट के अधिवक्ता ललित कुमार शर्मा ने बताया कि कोटा ग्रामीण के बुदादित थाने में 22 अक्टूबर 2023 को एक व्यक्ति ने मस्जिद के मौलवी नसीम खान के खिलाफ तहरीर दी थी। व्यक्ति ने बताया था कि 22 अक्टूबर को उसका भतीजा मस्जिद में मौलवी के पास अरबी पढ़ाने गया था। वहां मौलवी नसीम खान ने उसे कुछ देर तक पढ़ाई कराई। फिर बरगला कर कमरे में ले गया। वहां उसके साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म किया। जब बच्चा रोने लगा तो उसने बच्चे को धमकाया कि अगर किसी से कहा तो तुम्हें और तुम्हारे पूरे परिवार को जान से मार देंगे। दर्द से तड़प रहा बच्चा रोते हुए घर पहुंचा। 

15 दिन में चार्जशीट, कोर्ट ने 4.15 महीने में सुना दिया फैसला
चाचा की तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके मौलवी को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने इस मामले में 14 दिन में जांच पूरी करके कोर्ट में चार्जसीट दाखिल कर दी थी। इस दौरान कोर्ट ने 24 दस्तावेज पेश किए गए। 11 गवाहों ने मौलवी के खिलाफ बयान दर्ज कराई। सुनवाई के दौरान आरोपी मौलवी को फांसी देने की मांग की गई थी। लेकिन जज ने उसे फांसी देने के बजाय आजीवन कारावास यानी अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई। जज ने सजा सुनाने के दौरान अपने मन की पीड़ा को पंक्तिबद्ध करके कविता के रूप में सुनाया।्र

जज ने अपनी कविता के माध्यम से जो फैसला सुनाया वह ऐसे था कि -
"मेरे नन्हे मुन्ने मासूम फरिश्ते, तुम निर्दोष हो,
तुम्हारी मुस्कान ही सारा जहां है।
तुम्हारी सूरत में अल्लाह का नूर बसता है।
तुम मन मस्तिष्क से कटु स्मृतियों को मिटा दो,
तुम्हारे गुनहगार को हमने आजीवन सलाखों के पीछे भेज दिया है।
अब तुम हंसकर खेलकर इस जीवन को यापन करो,
तुम्हारी आंखों से बहते आंसू तुम्हारा घर नहीं देख पाएगा...।
आरोपी को फांसी देने से वह अपने पापों का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा।
 

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