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Rajasthan Election 2023: ससुर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए, बहू को मिला बड़ा तोहफा

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Nov 03, 2023, 04:24 PM IST
Rajasthan Election 2023: ससुर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए, बहू को मिला बड़ा तोहफा

सार

राजस्थान में टिकट को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों में टिकट न मिलने पर नेता पाला बदल रहे हैं। ऐसा ही एक दिलचस्प मामला चूरू जिले का है। पूर्व विधायक नंदलाल पूनियां ने टिकट के चक्कर में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा।

चूरू। राजस्थान में टिकट को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों में टिकट न मिलने पर नेता पाला बदल रहे हैं। ऐसा ही एक दिलचस्प मामला चूरू जिले का है। पूर्व विधायक नंदलाल पूनियां ने टिकट के चक्कर में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा। वह खुद के लिए टिकट की डिमांड कर रहे थे। बीजेपी ने पूनियां को टिकट देने के बजाए उनकी बहू को प्रत्याशी बनाया है। 

पूनियां की बहू को बीजेपी ने बनाया प्रत्याशी

दरअसल, बीजेपी ने हाल ही में चूरू की सादुलपुर विधानसभा सीट पर प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया है। इस सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक नंदलाल पूनियां टिकट मांग रहे थे। टिकट के चक्कर में वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में भी आए, क्योंकि इस बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से इंकार कर दिया था। पूनियां ने अपना टिकट पक्का करने के लिए पार्टी के बड़े नेताओं के चक्कर भी लगाएं थे। पर वहां भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद निराश होकर नंदलाल ने कमल पकड़ा। अब जब सादुलपुर विधानसभा सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा हुई तो पता चला कि कमल का फूल पूनियां के घर में ही खिलने वाला है।

...तो इसलिए बीजेपी ने नंदलाल पूनियां को न​हीं दिया टिकट

दरअसल, नंदलाल पूनियां को टिकट देने से भाजपा को अंतर्विरोधों का सामना करना पड़ता, क्योंकि  भाजपा में आने के बाद से ही उनके टिकट का विरोध हो रहा था तो बीजेपी ने उनकी जगह बहू सुमित्रा चौधरी को प्रत्याशी बना दिया। मतलब साफ है कि टिकट घर के ही सदस्य को मिला। पर पार्टी बदलने की वजह से इलाके में पूनियां के राजनीतिक कॅरियर पर सवाल उठ रहे हैं।

कौन हैं नंदलाल पूनियां?

नंदलाल पूनियां चुरू जिले से कांग्रेस पार्टी में 1971 से सक्रिय रहे। 2-2 बार विधायक, सरपंच, पंचायत समिति प्रधान और जिला संयोजक के पद पर आसीन रहें। अब वह पार्टी से एक बार फिर टिकट की डिमांड कर रहे थे। टिकट कटने के बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया।

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