हालांकि उम्मीद की जा रही है अगले हफ्ते महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बन जाएगी। जिसमें पहले ढाई साल में शिवसेना का सीएम होगी और बाकी ढाई साल एनसीपी का सीएम होगा। माना जा रहा तीन दलों के बीच सरकार को एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय हो गया है। जिसमें सीएम शिवसेना और एनसीपी का वही विधानसभा कांग्रेस का होगा।
नई दिल्ली। शिवसेना के एनडीए को छोड़ने का असर न केवल महाराष्ट्र बल्कि देश की राजनीति में भी दिखेगा। एनडीए की राज्यसभा में दो सांसदों की ताकत कम होगी तो लोकसभा में 18 सांसद अब केन्द्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस और विपक्षी दलों का साथ देगा।
हालांकि उम्मीद की जा रही है अगले हफ्ते महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बन जाएगी। जिसमें पहले ढाई साल में शिवसेना का सीएम होगी और बाकी ढाई साल एनसीपी का सीएम होगा। माना जा रहा तीन दलों के बीच सरकार को एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय हो गया है। जिसमें सीएम शिवसेना और एनसीपी का वही विधानसभा कांग्रेस का होगा। वहीं कांग्रेस के कोटे में 12 मंत्री होंगे तो शिवसेना और एनसीपी के 14-14 मंत्री होंगा।
लेकिन अब महाराष्ट्र का असर एनडीए में कई जगहों पर देखने को मिलेगा। हालांकि भाजपा को लोकसभा में किसी की जरूरत नहीं है। लेकिन अहम प्रस्तावों को पारित करने में उनसे विपक्षी दलों दलों का मुंह देखना पड़ता है। राज्यसभा में दो सांसद और लोकसभा में 18 सांसदों की ताकत कम हो गई है। वहीं ऐसा कहा जा रहा है कि शीतकालीन सत्र में शिवसेना सर्वदलीय बैठक में हिस्सा नहीं लेगी। हालांकि इसके पीछे पार्टी के तर्क हैं कि रविवार को पार्टी के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि भी है।
गौरतलब है कि राज्य में शिवसेना और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था और जिसमें 105 भाजपा और 56 सीटें शिवसेना को मिली। लेकिन सीएम के पद को लेकर दोनों दलों में सहमति नहीं बन सकी है। जिसके बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस से गठजोड़ किया है। जिसके बाद अब शिवसेना ने एनडीए से भी रिश्ता तोड़ दिया है।