मौनी बाबा ने साल 1984 में यह शपथ ली थी कि जब तक रामलला सिंहासन पर नहीं बैठेंगे। तब तक वह एक भी शब्द नहीं बोलेंगे। अब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक है तो उन्होंने राम नाम के जप के साथ मौन व्रत तोड़ने का निर्णय लिया है। वर्षों से वह लोगों से अपनी बात एक चॉकबोर्ड पर लिखकर बताते रहे हैं।
Ram Mandir Pran Pratishtha: मध्य प्रदेश के दतिया के रहने वाले मौनी बाबा की तपस्या अब पूरी हो रही है। 10 वर्ष की उम्र से ही मौन व्रत का संकल्प लिया था। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद वह 40 साल बाद अपना मौन व्रत तोड़ेंगे। पहली बार जय श्रीराम बोलेंगे। बाबरी मस्जिद का ढांचा हटाए जाते वक्त वह भी अयोध्या में मौजूद थे। तभी उन्होंने संकल्प लिया था कि राम मंदिर बनने तक वह चरण पादुका नही पहनेंगे। वर्षों से उसी संकल्प को निभा रहे हैं। अब उनकी कठोर तपस्या पूरी हो रही है। भगवान श्रीराम का बालस्वरूप अपने भव्य रूप में दिखेगा।
1984 में ली थी यह शपथ
मौनी बाबा ने साल 1984 में यह शपथ ली थी कि जब तक रामलला सिंहासन पर नहीं बैठेंगे। तब तक वह एक भी शब्द नहीं बोलेंगे। अब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक है तो उन्होंने राम नाम के जप के साथ मौन व्रत तोड़ने का निर्णय लिया है। वर्षों से वह लोगों से अपनी बात एक चॉकबोर्ड पर लिखकर बताते रहे हैं। साल 1980 में उन्होंने राम मंदिर न बनने तक अन्न ग्रहण न करने का भी संकल्प लिया था। तभी से सिर्फ फल खाते हैं।
डीएम-एसपी कार्यालय के लगा रहें चक्कर
दरअसल, मोहन गोपाल दास के न बोलने वाले संकल्प की वजह से उनका नाम मौनी बाबा पड़ गया। वह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण की आस में जिला मुख्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। उनको भरोसा है कि पीएम नरेंद्र मोदी उन्हें आमंत्रण भेजेंगे। वह डेली पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी जाते हैं। डीएम और एसपी कार्यालय में उन्होंने इस सिलसिले में आवेदन भी किया है। लोगों का कहना है कि ऐसे ही संतों की वजह से हम लोग रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर का लाभ उठा पा रहे हैं।