रिपोर्ट कार्ड तय करेगा भाजपा सांसदों का भविष्य, समीकरणों के गुणा-भाग में फंसे सांसद

By Harish Tiwari  |  First Published Mar 9, 2019, 2:19 PM IST

आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा के सांसदों का भविष्य उनका रिपोर्ट कार्ड तय करेगा। भाजपा नेतृत्व ने किसी परीक्षा की तरह सांसदों को लिख कर बताना होगा कि केन्द्र सरकार की सबसे लोकप्रिय योजनाएं क्या हैं। 

आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा के सांसदों का भविष्य उनका रिपोर्ट कार्ड तय करेगा। भाजपा नेतृत्व ने किसी परीक्षा की तरह सांसदों को लिख कर बताना होगा कि केन्द्र सरकार की सबसे लोकप्रिय योजनाएं क्या हैं। लेकिन सांसद आलाकमान के समीकरणों के गुण-भाग में ही फंस गए हैं।

भाजपा का आगामी लोकसभा के लिए उत्तर प्रदेश पर ही फोकस है। राज्य में राजनैतिक स्थितियां बदल गयी हैं और इससे भाजपा नेतृत्व अच्छी तरह से परिचित है। लिहाजा वह मौजूदा सांसदों को ठोक बजाकर टिकट देना चाहता है। जिस तरह की रिपोर्ट केन्द्रीय नेतृत्व के पास गयी है उसके मुताबिक करीब तीन दर्जन से ज्यादा सांसदों के टिकट कटने तय हैं। क्योंकि ये सांसद तो केन्द्र सरकार की योजनाओं को अपने क्षेत्रीय जनता तक पहुंचा पाए न हो कार्यकर्ताओं को खुश करने में सफल हुए।

अब भाजपा नेतृत्व ने इन सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तय किया है। जिसके आधार पर उन्हें टिकट दिया जाएगाष। गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा 73 सीटें जीत कर रिकार्ड बना चुकी है। लिहाजा पार्टी सांसदों से पार्टी आलाकमान के सवालों के जवाबों को लिखकर देने को कह रही है इसी समीकरण में सांसद फंस गए हैं। क्योंकि केन्द्र की योजनाओं को लेकर पार्टी ने सर्वे कराया है। जो भी सांसद सही जवाब देगा उसको टिकट मिलना तय है।

पार्टी ने सभी सांसदों को अपना-अपना रिपोर्ट कार्ड तैयार कराया गया है। ये रिपोर्ट वैसा ही जैसा स्कूलों में बच्चों का होता है। यानी नंबर के आधार पर ग्रेड दिए जाएंगे। जिसके सबसे ज्यादा नंबर होंगे उसे ही टिकट मिलना तय माना जाएगा। राज्य में सपा-बसपा के बीच गठबंधन के बाद स्थानीय स्तर पर समीकरणों को लेकर सभी दलों में सुगबुगाहट है। हालांकि पीएम मोदी, राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को इन सवालों से नहीं गुजरना होगा जबकि इनके अलावा सभी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तय किया जा रहा है।

यही नहीं सांसदों को लोकसभा के समीकरणों की जानकारी देनी है। उनका इस बार मुकाबला किस दल से होगा और लोकसभा सीट का जातिवार समीकरण क्या रहेगा और वोट बैंक किस तरह और क्यों जा सकता है इस पर भी अपनी प्रतिक्रिया देनी होगी। हालांकि कुछ सासंदों को अच्छी तरह से मालूम है कि उन्हें पार्टी शायद उन्हें टिकट नहीं देगी। लिहाजा इन सांसदों दूसरे दलों के दरवाजों को खटखटाना शुरू कर दिया है। राज्य में समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन के बाद सीटों का बंटवारा हुआ है इसको लेकर भाजपा प्रत्याशी चयन में सतर्कता बरत रही है। वहीं प्रियंका के राजनीति में आने के बाद कि स्थितियों पर पार्टी नजर रख रही है।

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