कांग्रेस-जेडीएस में तकरार, खतरे में कर्नाटक सरकार

By dhananjay RaiFirst Published Aug 29, 2018, 1:34 PM IST
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जेडीएस-कांग्रेस के बेमेल गठबंधन की दरारें दिखनी शुरु हो गई हैं। कांग्रेस ज्यादा सीटें लेकर भी अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पाई है। जिसकी टीस आए दिन सामने आ जाती है।

जेडीएस-कांग्रेस के बेमेल गठबंधन की दरारें दिखनी शुरु हो गई हैं। कांग्रेस ज्यादा सीटें लेकर भी अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पाई है। जिसकी टीस आए दिन सामने आ जाती है।

लगातार चल रहे विवाद को टालने के लिए दोनो पार्टियों ने 31 अगस्त यानी शुक्रवार को समन्वय समिति की बैठक बुलाई है।   

आशंका है कि इस बैठक में भारी हंगामा हो सकता है। क्योंकि इसके आसार पहले से ही दिखने लगे हैं। चार दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की थी। हासन जिले में हुई एक जनसभा में सिद्धारमैया ने कहा, 'जनता के आशीर्वाद से मैं एक बार फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनूंगा.'    

सिद्धारमैया के इस बयान के जवाब में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने 25 अगस्त को यह कहकर धमाका कर दिया, कि '3 सितंबर को नए मुख्यमंत्री शपथ लेंगे. ये महत्वपूर्ण नहीं है कि मैं कितने समय के लिए मुख्यमंत्री रहूं. मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि मैं जितने दिन भी रहूं अपने काम से अपना भविष्य सुरक्षित करूं।' कुमारस्वामी का यह बयान कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश था। सिद्धारमैया और कुमारस्वामी के बीच के इस शीतयुद्ध से पैदा हुई तकरार को टालने को कोशिश कोशिश 31 अगस्त की समन्वय समिति बैठक में की जाएगी।

हालांकि मतभेद इतने गहरे हैं कि वरिष्ठ नेताओं के दखल के बिना शायद ही इसका निपटारा हो। इससे पहले कुमारस्वामी ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, कि वह मुख्यमंत्री रहकर जहर का घूंट पी रहे हैं।

कांग्रेस और जेडीएस के बीच मतभेद का दूसरा बड़ा संकेत तब मिला, जब   कर्नाटक के निकाय चुनाव में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के पिता एच डी देवगौड़ा यह बोल चुके हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले मैदान में उतर सकती है।

कर्नाटक में कांग्रेस के पास 78 और जेडीएस के 37 विधायक हैं और यही कांग्रेस की निराशा का कारण है। वह ज्यादा विधायक होने के बावजूद अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पा रही है।

कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन स्वाभाविक नहीं है। दोनों पार्टियां हमेशा से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ती आई हैं। जमीनी स्तर पर भी दोनों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प होती आई। लेकिन बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस-जेडीएस ने हाथ मिला लिया। लेकिन दोनों की पुरानी तकरार रह रहकर सामने आती ही रहती है।  


 

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