असल में महागठबंधन घटक दल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को जल्दी करना चाहते हैं। ताकि समय रहते सीटों पर प्रचार किया जा सके। लेकिन राजद लगातार महागठबंधन की बैठकों को टाल रहा है। लिहाजा राज्य में महागठबंधन के ज्यादातर नेता राजद के रूख से नाराज हैं।
पटना। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक दलों की परेशानियां बढ़ गई हैं। क्योंकि महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल राष्ट्रीय जनता दल ने साफ कर दिया है कि राज्य में सीटों के बंटवारे से पहले उसकी शर्तों को मानना होगा। जाहिर है कि जो घटक दल राज्य में महागठबंधन के सीएम के चेहरे को लेकर तेजस्वी के नाम से परहेज कर रहे थे, उन्हें इसके लिए राजद के फैसले पर मुहर लगानी होगी।
असल में महागठबंधन घटक दल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को जल्दी करना चाहते हैं। ताकि समय रहते सीटों पर प्रचार किया जा सके। लेकिन राजद लगातार महागठबंधन की बैठकों को टाल रहा है। लिहाजा राज्य में महागठबंधन के ज्यादातर नेता राजद के रूख से नाराज हैं। वहीं राजद ने साफ कर दिया है कि अगर महागठबंधन में रहना है तो उसकी शर्तों को मानना होगा। वहीं राजद भी जल्द सीटों के बंटवारे को सुलझाने के पक्ष में नहीं रही है। यहां तक कि घटक दल हम की अभी तक समन्वय समिति बनाने की मांग को राजद ने दरकिनार किया हुआ है। हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने की मांग कर चुके हैं ताकि सीटों पर बंटवारा हो सके और सहयोगी दल अपनी बात एक मंच पर रख सकें। लेकिन राजद ने मांझी की मांगों को अभी तक तवज्जो नहीं दी है।
वहीं महागठबंधन की अन्य सहयोगी पार्टियां आरएलएसपी और वीआईपी पार्टियों की तरफ से जल्द से जल्द सीटों के बंटवारे और महागठबंधन के नेता के लिए फैसला करने की मांग की जा रही है। जबकि राजद ने साफ कर दिया है कि विधानसभा चुनाव के लिए तेजस्वी यादव ही पार्टी के मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। लेकिन पूर्व सीएम जीतनराम मांझी को इससे आपत्ति है और समन्वय समिति बनाने को लेकर वह कई बार अल्टीमेटम भी दे चुके हैं। वहीं सहयोगी दलों की मांगों को देखते हुए राजद नेतृत्व की तरफ से अपने सहयोगी दलों को बता दिया गया है कि सीटों के बंटवारे से पहले उसकी शर्तों को मानना होगा। उसी के बाद महागठबंधन में सीटों का बंटवारा होगा।
कांग्रेस है खामोश
राज्य में कांग्रेस अपना नफा नुकसान देखते हुए राजद के फैसलों को लेकर खामोश है। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और शरद यादव से अलग-अलग वर्चुअल बैठक कर चुके हैं। कांग्रेस राजद से तेजस्वी के सीएम के चेहरे को लेकर सीटों को लेकर सौंदेबाजी कर रही है। कांग्रेस राज्य में महागठबंधन के सीएम के चेहरे के लिए तेजस्वी यादव के नाम पर मुहर लगाने से पहले सीटों का बंटवारा चाहती है। ताकि ज्यादा से ज्यादा सीट वह ले सके।
कुशवाहा और मांझी हैं नाराज
कांग्रेस इस मामले डबल गेम खेल रही है। वह राजद की तरफदारी कर अन्य सहयोगी दलों को भी महागठबंधन में ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है। वहीं राजद इसकी कोशिश में है कि सभी सहयोगी दल तेजस्वी को यादव को सीएम के चेहरा स्वीकार कर लें। जबकि इस बात को लेकर रालोसपा के नेता उपेन्द्र कुशवाहा और हम के नेता जीतन राम मांझी नाराज हैं। क्योंकि ये दोनों नेता तेजस्वी से वरिष्ठ हैं और तेजस्वी इन्हें सम्मान नहीं देते हैं।
वीवीआईपी ने मान लिया है तेजस्वी को नेता
उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी से अलग वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने राजद की शर्तों को मान लिया है और पार्टी ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर अपन मंजूरी दे दी है। मुकेश साहनी का कहना है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ा जाना चाहिए और लालू यादव को महागठबंधन का सर्वमान्य नेता स्वीकार करना चाहिए।