अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। आज यहां 18 मुस्लिम पार्टियों की एक सभा होने वाली थी। लेकिन इससे पहले भारी हंगामा हो गया। जिसकी वजह यह सभा कैंसिल करनी पड़ी।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नियन हॉल में शनिवार यानी 9 फरवरी को एक बैठक की गई थी। जिसमें यह तय हुआ था कि देश की 18 मुस्लिम पार्टियों की सभा बुलाकर एक अलग मुस्लिम फ्रंट बनाया जाएगा।
इसमें शिरकत करने के लिए एआईएमआईएम यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को भी आना था।
इस बैठक की कवरेज के लिए विभिन्न अखबारों और टेलीविजन चैनलों के संवाददाता वहां पहुंचे हुए थे।
लेकिन बैठक के दौरान ही हंगामा चालू हो गया। छात्रों के एक गुट ने मीडियाकर्मियों पर हमला बोल दिया। एक निजी चैनल की महिला संवाददाता से बदतमीजी की गई। कैमरामैन का वीडियो कैमरा तोड़ दिया गया और एक हिंदी समाचार पत्र के फोटोग्राफर का भी स्टिल कैमरा छीनकर तोड़ दिया गया। इस दौरान कुछ मीडियाकर्मियों से हाथापाई भी की गई।
एएमयू छात्र यूनियन की ओर से बुलाई बैठक में कई मुस्लिम दलोँ के नेता शामिल हुए। मुस्लिम फ्रंट बनाने के लिए बैठक सुबह शुरू हो गई थी लेकिन ओवैसी पहुंचे नहीं थे।
दरअसल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रनेता यूपी की राजनीति में मुसलमानों की कथित उपेक्षा से दुखी थे। उन्होंने शनिवार को एक बैठक की जिसमें पीस पार्टी, इंडियन नेशनल लीग, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल, भारतीय मजलिस, आइआरपीएफ, परचम पार्टी, नेशनल अमन पार्टी, एसडीपीआइ, नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी, इंडियन मुस्लिम राबिता काउंसिल आदि दलों के नेता शामिल हुए।
जिसमें यह तय किया गया कि आगे बैठक करके एक मुस्लिम फ्रंट की घोषणा की जाए। इस मीटिंग के लिए हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत 18 से अधिक दलों के नेताओं को पांच फरवरी को पत्र लिखा गया था।
छात्रसंघ के नेताओं का कहना था कि यूपी में सपा व बसपा ने 38-38 सीटों पर चुनाव लडऩे का एलान किया है। दो सीटें कांग्रेस के छोड़ी गई हैं। लेकिन मुस्लिम पार्टियों के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी। यह मुस्लिमों के साथ धोखा है।
इसके बाद आगे की रणनीति बनाने के लिए मुस्लिम फ्रंट बनाने की रणनीति तैयार की जा रही थी। लेकिन ओवैसी के आने की खबर सुनकर छात्रों का एक गुट भड़क गया और हंगामा शुरु हो गया।