मंदिर परिसर में 50 साल से अधिक आयु की 15 महिलाओं को तैनात किया गया है। 2300 पुलिसकर्मियों को मंदिर के आसपास तैनात किया गया है। इनमें 20 सदस्यीय कमांडो दस्ता और 100 महिलाएं शामिल हैं।
सबरीमला में भगवान अयप्पा का मंदिर सोमवार शाम एक बार फिर से हर महीने होने वाली पूजा के लिए खुलेगा। इससे पहले ही मंदिर परिसर को किले में तब्दील कर दिया गया है। सबरीमाला मंदिर में पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद झड़प की स्थिति बन गई थी, जब मासिक धर्म की आयु की कई महिलाओं ने प्रवेश की कोशिश की थी। हालांकि ये सभी प्रयास असफल रहे थे और धार्मिक संगठनों ने महिलाओं को सबरीमाला में प्रवेश नहीं करने दिया था।
रविवार शाम को इरुमेली पहुंचे श्रद्धालुओं को सुबह पांबा और शनिधानम नहीं जाने दिया गया। इससे गुस्साए श्रद्धालुओं ने 'अयप्पा शरणम' के नारे लगाते हुए ट्रैफिक जाम कर दिया। एक श्रद्धालु ने कहा, 'हम एक रात से इंतजार कर रहे हैं। हमें बताया गया था कि सुबह 6 बजे जाने की इजाजत दी जाएगी। अब हमें यह बताया जा रहा है कि केरल राज्य परिवहन की बसों को दोपहर 12 बजे के बाद जाने की इजाजत दी जाएगी। हम भगवान अयप्पा की पूजा करने के लिए आए हैं। कृपया हमें जाने दिया जाना चाहिए।'
एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि यदि निजी वाहनों को जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है तो फिर उन्हें केरल राज्य परिवहन की बसों से ही जाने देना चाहिए। इसके अलावा मीडियाकर्मियों को भी निलक्कल से पांबा और शनिधानम यानी मंदिर परिसर के लिए जाने नहीं दिया जा रहा है। हालांकि डीजीपी लोकनाथ बेहरा ने कहा कि मीडियाकर्मियों के जाने पर किसी तरह की रोक नहीं है। उन्होंने कहा, 'मीडिया को जरूरी सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से हम अभी जाने नहीं दे रहे हैं। सुरक्षा के इंतजाम पूरे होते ही मीडिया के लोगों को सबरीमाला और आसपास की जगहों पर जाने की इजाजत दी जाएगी।'
मंदिर परिसर में 50 साल से अधिक आयु की 15 महिलाओं को तैनात किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि 2300 पुलिसकर्मियों को मंदिर के आसपास तैनात किया गया है। इनमें 20 सदस्यीय कमांडो दस्ता और 100 महिलाएं शामिल हैं। शनिवार शाम से पांबा, निलक्कल, इलावुनगल और शनिधानम में 72 घंटे के लिए धारा 144 लगा दी गई है।
मंदिर सोमवार को शाम पांच बजे विशेष पूजा 'श्री चितिरा अट्टा तिरूनाल' के लिए खुलेगा और उसी दिन रात 10 बजे बंद हो जाएगा। तंत्री कंडारारू राजीवारू और मुख्य पुजारी उन्नीकृष्णन नम्बूदिरी मंदिर के कपाट संयुक्त रूप से खोलेंगे और श्रीकोविल (गर्भगृह) में दीप जलाएंगे। इसके बाद 17 नवंबर से तीन महीने लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए फिर से खोला जाएगा।