प्रतिमा में लगी कांसे की प्लेट्स को चीन से आयात किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष कई बार आरोप लगा चुके हैं कि यह मूर्ति 'मेड इन चाइना' है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' उद्घाटन के बाद से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। बड़ी संख्या में लोग इसे देखने पहुंच रहे हैं। हालांकि एक सवाल अब भी घूम फिर कर सामने आ रहा है कि क्या इस प्रतिमा को चीनी कंपनी ने तैयार किया है।
दरअसल, इस प्रतिमा के अनावरण से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में एक चुनावी सभा में कहा था, ‘नरेंद्र मोदी जी गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ति बना रहे हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति होगी। लेकिन हमारे जूतों और शर्ट की तरह यह भी मेड इन चाइना होगी।’
इससे पहले, राहुल ने गुजरात चुनाव के समय भी कहा था, ‘सरदार पटेल की मूर्ति बनाई जा रही है। यह मूर्ति चीन में बनाई जा रही है। इसके पीछे ‘मेड इन चाइना’ लिखा होगा। यह शर्म की बात होगी।’
लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष का यह दावा तथ्यों से मेल नहीं खाता। सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाने का ठेका लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड को दिया था। कंपनी पहले ही यह साफ कर चुकी है कि ‘पूरी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत में बन रही है और सिर्फ कांसे की प्लेट्स चीन से आयात की जा रही हैं। यह पूरी परियोजना का महज नौ फीसदी है। पूरी स्टैच्यू को 'मेड इन चाइना' कहकर भ्रम फैलाया जा रहा है।’
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पांच साल पहले रखी गई थी नींव
सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा के बनने की नींव पांच साल पहले ही रख दी गई थी। करीब 3 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनी इस स्मारक की आधारशिला 31 अक्टूबर, 2013 को पटेल की 138वीं वर्षगांठ के मौके पर रखी गई थी। तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस प्रतिमा के लिए भाजपा ने पूरे देश में लोहा इकट्ठा करने का अभियान भी चलाया था। ये विशालकाय प्रतिमा लाखों टन लोहे और तांबे को मिलाकर बनाई गई है। इस मूर्ति की खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए लोहा भारत के किसानों से खेती के बेकार हो चुके औजारों को लेकर इकठ्ठा किया गया।इस प्रतिमा के लिए 'सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट' भी बनाया गया।
इस प्रोजेक्ट के निदेशक मुकेश रावल के मुताबिक, सरकार पटेल एक दिग्गज शख्सियत थे। सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि उनकी मुखाकृति, मुद्रा और हाव-भाव को सही तरीके से उकेरा जा सके। इसके लिए कंपनी ने मशहूर मूर्तिकार राम वंजी सुतार के साथ मिलकर काम किया और पहले 3 फुट और 30 फुट की प्रतिमा का नमूना तैयार किया और सार्वजनिक तौर पर गांव-गांव जाकर लोगों से परामर्श किया। अभिलेखागार की तस्वीरों से तस्वीरों को इकट्ठा कर टीम ने 2डी से 3डी छवि तैयार की और इस तरह से पटेल की मुखाकृति, हाव-भाव, कद-काठी का पूरा बायोमेट्रिक ब्योरा तैयार किया।
उन्होंने बताया, 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को इस तरह से डिजाइन किया गया है यह तटीय क्षेत्रों में 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली हवाओं को सह सके। इस परियोजना के लिए चरणबद्ध तरीके से मंजूरी लेनी थी लेकिन कंपनी ने जोखिम लेते हुए अक्सर बिना इंतजार किए काम आगे बढ़ाया।'