गोवा में कांग्रेस को बड़ा झटका

By Team MynationFirst Published Oct 16, 2018, 1:50 PM IST
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दयानंद सोप्ते साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मेडरमा विधानसभा सीट से भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर को हराया था। वहीं सुभाष शिरोडकर शिरोडा विधानसभा सीट से जीते थे। दोनों विधानसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए।

कुछ दिन पहले तक गोवा में अपने पक्ष में नंबर होने का दावा कर सरकार बनाने का मौका मांग रही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। उसके दो विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है। विधानसभाध्यक्ष प्रमोद सावंत ने कांग्रेस विधायक सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोप्ते के राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की पुष्टि की है। दोनों नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। गोवा में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के खराब स्वास्थ्य के बाद से ही राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई थी। 

दयानंद सोप्ते साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मेडरमा विधानसभा सीट से भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर को हराया था। वहीं सुभाष शिरोडकर शिरोडा विधानसभा सीट से जीते थे। दोनों मंगलवार शाम भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले दोनों विधायक केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक के साथ दिल्ली पहुंचे और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। शाह के आवास पर हुई बैठक में दोनों विधायकों के अलावा गोवा भाजपा के अध्यक्ष विनय तेंदुलकर और मंत्री विनायक राणे भी मौजूद थे। 

इससे पहले कांग्रेस ने सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था।  गोवा प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रमुख गिरीश चोडणकर ने अपने ज्ञापन में राष्ट्रपति से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि राज्य विधानसभा भंग नहीं हो। 

उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विनय तेंदुलकर ने साफ कर दिया है कि पर्रिकर मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे। विधानसभा भी भंग नहीं की जाएगी। सत्ताधारी गठबंधन में शामिल गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) ने भी कहा है कि मौजूदा सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे, यह सुनिश्चित करना भाजपा की जिम्मेदारी है। जीएफपी के अध्यक्ष और नगर नियोजन मंत्री विजय सरदेसाई ने कहा, ‘मुख्यमंत्री पद पर मनोहर पर्रिकर रहें या नहीं रहें, राज्य सरकार को अपना कार्यकाल पूरा करना चाहिए।’ 

गोवा विधानसभा चुनाव में भाजपा के 13, कांग्रेस के 17, महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के 3, गोवा फॉरवर्ड पार्टी के 3, एनसीपी का एक और 3 निर्दलीय विधायक जीता था। इसके बाद एक विधायक ने कांग्रेस छोड़ दी।  भाजपा ने जीएफपी (3), एमजीपी (3) और दो निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई थी। 

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