तल्ख़ ज़ुबान,बेबाक रवैया और दिलवाला शायर- नहीं रहे मुनव्वर राणा

By rohan salodkar  |  First Published Jan 15, 2024, 12:18 PM IST

71 साल की उम्र में मशहूर शायर मुनव्वर राणा का निधन हो गया।  मुनव्वर को सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि मां पर शायरी लिखने पर मिली।  मुनव्वर अपनी बेबाक बयानी के लिए जाने जाते थे और अक्सर विवादों में घिर जाते थे।  

लखनऊ। 14 जनवरी साल 2024,   मशहूर शायर मुनव्वर राणा का  71 साल की उम्र में  निधन हो गया। मुनव्वर राणा अपने शेर और अपनी बेबाक  बयान के लिए मशहूर थे। उनका जाना हिंदी उर्दू अदब और साहित्य के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। मुनव्वर राणा को सबसे ज्यादा मकबूलियत मां पर शायरी लिखने पर हासिल हुई ।

रिश्तेदार चले गए पाकिस्तान 
मुनव्वर राणा की पैदाइश 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुई थी। उनके वालिद का नाम अनवर अली और वाल्दा का नाम आयशा खातून था। जब हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ तो मुनव्वर के ज्यादातर रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए लेकिन मुनव्वर  के वालिद ने हिंदुस्तान में रहने का फैसला किया। मुनव्वर  के वालिद कोलकाता में ट्रांसपोर्ट का काम करते थे। कोलकाता से ही मुनव्वर ने बीकॉम किया।  चूंकि मुनव्वर के वालिद अपने काम की वजह से चार-पांच दिन के बाद ही घर लौट पाते थे इसलिए मुनव्वर का मां से ज्यादा अटैचमेंट हो चुका था।


नक्सलियों से हुई दोस्ती
कोलकाता में रहने के दौरान मुनव्वर की दोस्ती नक्सली विचारधारा के लोगों से हो गई जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया और 2 साल तक घर में आने नहीं दिया। इस दौरान मुनव्वर ने भी ट्रांसपोर्ट का काम करना शुरू किया। मुनव्वर की शादी लखनऊ में हुई तो कोलकाता छोड़कर वह लखनऊ आकर रहने लगे।

परिवार में पत्नी, 5 बेटियां और एक बेटा है
मुनव्वर अपने पीछे अपनी पत्नी नायला राणा, 5  बेटियां सुमैया राणा, फोजिया राणा, उरूसा राणा, हिबा राणा ,अर्शिया राणा और बेटे तबरेज राणा को छोड़ गए हैं। मुनव्वर की मां का निधन साल 2016 में हुआ था । काम के साथ-साथ मुनव्वर ने शायरी और गजलें लिखना शुरू किया और धीरे-धीरे मुशायरों में जाना शुरू किया जिसने उन्हें पूरी दुनिया में पहचान दिलाई। मुनव्वर के वालिद को भी शायरी का शौक था और यही शौक मुनव्वर के अंदर भी पैदा हो गया। मुनव्वर का बेटा तबरेज भी ट्रांसपोर्ट का काम संभालते हैं जो कि उनका खानदानी बिजनेस है। 


मुनव्वर राणा की प्रमुख किताबें
मुनव्वर राणा ने बहुत सी किताबें लिखी है जिनमें चेहरे याद रहते हैं, नीम के फूल, मुनव्वर राणा की 100 गजलें, सफेद जंगली कबूतर, मोर पांव, पीपल छांव वगैरा काफी मशहूर हुई।

बेशुमार अवार्ड मिले मुनव्वर को
मुनव्वर राणा को बहुत से पुरस्कार और सम्मान मिले। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया दिलखुश पुरस्कार, सलीम जाफरी पुरस्कार, ग़ालिब अवार्ड, डॉ जाकिर हुसैन अवार्ड, कविता का कबीर सम्मान, अमीर खुसरो पुरस्कार, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार वगैरह शामिल है।

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