सबसे बड़ी लूजर बनी शिवसेना, न घर के रहे न घाट के

असल में महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद चले राजनैतिक ड्रामे में सबसे ज्यादा नुकसान में शिवसेना रही। क्योंकि राज्य में ठाकरे परिवार का मुख्यमंत्री बनाने की जिद के चक्कर में न तो राज्य में सरकार बना पाई उल्टा उसमें मोदी सरकार से भी केन्द्र में किनारा कर लिया। शिवसेना को उम्मीद थी कि कांग्रेस उसे समर्थन देगी और वह एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाएगी।

Shiv Sena became the biggest loser in maharashtra, neither get house nor ghat

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने मंजूरी दे दी है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में सरकार बनाने के लिए आज शाम साढ़े आठ बजे तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को समय दिया था। लेकिन एनसीपी ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया। वहीं कल शिवसेना को दिया गया समय खत्म हो गया। जिसके बाद राज्यपाल ने केन्द्र सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भेजी जिसे केन्द्रीय कैबिनेट ने मंजूर करते हुए राष्ट्रपति को भेज दिया था। लेकिन राज्य में अब तक चले राजनैतिक घटनाक्रम में सबसे ज्यादा बड़ी लूजर शिवसेना बनी।

Shiv Sena became the biggest loser in maharashtra, neither get house nor ghat

असल में महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद चले राजनैतिक ड्रामे में सबसे ज्यादा नुकसान में शिवसेना रही। क्योंकि राज्य में ठाकरे परिवार का मुख्यमंत्री बनाने की जिद के चक्कर में न तो राज्य में सरकार बना पाई उल्टा उसमें मोदी सरकार से भी केन्द्र में किनारा कर लिया। शिवसेना को उम्मीद थी कि कांग्रेस उसे समर्थन देगी और वह एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। लेकिन सोनिया गांधी और कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले। वहीं एनसीपी भी इस मामले में खुलकर नहीं बोल रही है।

शिवसेना जिस 50-50 के फार्मूले के तहत राज्य में भाजपा के साथ सरकार बनाने की जिद पर अड़ी थी, वही जिद एनसीपी और शिवसेना के बीच आ गई। क्योंकि एनसीपी ने भी वही शर्त रख। एनसीपी ने साफ किया कि अगर शिवसेना राज्य में मिलकर सरकार बनाना चाहती है तो वह भी इस फार्मूले को राज्य में लागू करे। जिसके बाद शिवसेना और एनसीपी के बीच बातचीत बंद हो गई। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस मामले में कांग्रेस के नेताओं को महाराष्ट्र भेजा जहां वह एनसीपी के साथ मिलकर सरकार के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करें और इसे शिवसेना को दें।

लेकिन शिवसेना को एनसीपी का फार्मूला मंजूर नहीं है। हालांकि अब उद्धव ठाकरे ने कहना शुरू कर दिया है कि गठबंधन भाजपा की तरफ से तोड़ा गया था। वहीं उन्होंने इस बात को भी खारिज नहीं किया है कि भविष्य में दोनों दल सरकार नहीं बना सकते हैं। वहीं राज्य के पूर्व सीएम देवेन्द्र फडवनीस ने भी साफ कर दिया है कि जल्द ही भाजपा की राज्य में सरकार बनेगी। इस बात की भी उम्मीद की जा रही है कि पिछले 19 दिनों से चले राजनीतिक ड्रामा का पटाक्षेप तो हो गया है। लेकिन भाजपा और शिवसेना की सरकार की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है।

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