एमपी में सरकार बनते ही सिंधिया को दिया शिवराज सरकार ने 'तोहफा', जानें क्या है मामला

By Team MyNation  |  First Published Mar 24, 2020, 3:21 PM IST

सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद प्रदेश कांग्रेस इकाई में एक विद्रोह शुरू हो गया और सिंधिया के 22 विधायक ने राज्य की कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।  सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस छोड़ी थी और उसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। 

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हाल ही में भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ा तोहफा दिया है। राज्य सरकार के आदेश के बाद राज्य के आर्थिक अपराध शाखा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ धोखाधड़ी  का मामला बंद कर दिया है। इस मामले को हाल ही में राज्य की पूर्व कमलनाथ सरकार से फिर से खोला था। ये केस सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद फिर से खोला गया था।

सिंधिया और उनके परिवार पर जमीन बेचने के दौरान एक संपत्ति दस्तावेज को गलत तरीके से बेचने का आरोप लगाया गया था।  सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस छोड़ी थी और उसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार के आदेश के बाद सिंधिया और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ इस मामले को फिर से खोला गया था। जबकि राज्य की कमलनाथ सरकार ने पिछले 15 महीने में इस केस को ठंडे बस्ते में डाला हुआ था।

सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद प्रदेश कांग्रेस इकाई में एक विद्रोह शुरू हो गया और सिंधिया के 22 विधायक ने राज्य की कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद तत्कालीन कांग्रेस  सरकार के आदेश के बाद आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 2009 में ग्वालियर में एक जमीन को बेचने के दौरान सिंधिया और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज  मामले को फिर से शुरू करने का फैसला किया था। शिकायतकर्ता सुरेन्द्र श्रीवास्तव की शिकायत पर ईओडब्लू ने इस मामले को फिर खोला था और ग्वालियर कार्यालय को भेज दिया था।

जिसके बाद सिंधिया और उनके परिवार के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थई। लेकिन राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस मामले को फिर से बंद कर दिया गया है। श्रीवास्तव ने सिंधिया और उनके परिवार के खिलाफ आरोप लगाया था कि उन्होंने रजिस्ट्री दस्तावेज में फर्जीवाड़ा करके उन्हें महलगांव में जमीन का एक टुकड़ा बेच दिया था। हालांकि इसके लिए  सबसे पहले 26 मार्च 2014 में सिंधिया के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई  थी। लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार ने इसी जांच कर इसे बंद कर दिया था।

click me!