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यूपी में अस्तित्व बचाने में विफल हुए छोटे राजनैतिक दल

Published : May 26, 2019, 02:56 PM IST
यूपी में अस्तित्व बचाने में विफल हुए छोटे राजनैतिक दल

सार

इस चुनाव में बड़े राजनैतिक दलों के साथ ही छोटे दलों की भी अग्नि परीक्षा थी। जिसमें ये दल बुरी तरह से विफल हुए हैं। यहां तक इन दलों को मिला वोट प्रतिशत इतना कम है कि इन राजनैतिक भविष्य पर संकट मंडराने लगा है। शिवपाल सिंह की पार्टी प्रसपा इस बात को लेकर खुश जरूर हो सकती है कि उसने समाजवादी पार्टी का वोट काटा और दो सीटों पर वह एसपी की हार का बड़ा कारण बनी।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश छोटे राजनैतिक दल फ्लॉप साबित हुए हैं। ये राजनैतिक दल महज वोटकटवा बन कर रहे गए हैं। इस बार के चुनाव में खासतौर से शिवपाल सिंह की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) अपनी राजनैतिक पहचान बनाने में विफल हुई है, जबकि कांग्रेस के गठबंधन करने वाले जनअधिकार मंच और महान और एसपी-बीएसपी से गठबंधन करने वाली राष्ट्रीय लोकदल भी चुनाव में अपना अस्तित्व नहीं बचा पायी हैं।

इस चुनाव में बड़े राजनैतिक दलों के साथ ही छोटे दलों की भी अग्नि परीक्षा थी। जिसमें ये दल बुरी तरह से विफल हुए हैं। यहां तक इन दलों को मिला वोट प्रतिशत इतना कम है कि इन राजनैतिक भविष्य पर संकट मंडराने लगा है। शिवपाल सिंह की पार्टी प्रसपा इस बात को लेकर खुश जरूर हो सकती है कि उसने समाजवादी पार्टी का वोट काटा और दो सीटों पर वह एसपी की हार का बड़ा कारण बनी।

प्रसपा ने फिरोजाबाद और कन्नौज में एसपी प्रत्याशियों के खिलाफ माहौल बनाया और इसके कारण ये दोनों सीटें एसपी हार गयी। फिरोजाबाद में शिवपाल सिंह यादव को महज 8.54 फीसदी वोट मिले हैं। वहीं घोसी सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 3.49 फीसदी वोट मिले हैं। इन दोनों सीटों का जिक्र इसलिए किया जा रहा है कि दो सीटें इन राजनैतिक दलों का गढ़ माना जाता है।

लेकिन इसके बावजूद ये दल चुनाव में कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए। जबकि पश्चिम उत्तर प्रदेश में दखल रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल को महज 1.67 फीसदी वोट मिले। अगर आंकड़ों के आधार पर देखें तो तमाम छोटे दल तो एक फीसदी तक वोट नहीं हासिल कर पाए। हालांकि इस मामले में अपना दल काफी फायदे में रही। वह दो सीटें जीतने में कामयाब रही।

अपना दल सोनेलाल, निषाद पार्टी ने बीजेपी के साथ तो कृष्णा पटेल गुट, जन अधिकार मंच और महान दल ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया जबकि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा। जबकि राष्ट्रीय लोकदल ने एसपी-बीएसपी गठबंधन के चुनावी गठबंधन किया था।
 

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