तो ये है राहुल गांधी का दर्द, जिसके कारण वो छोड़ना चाहते हैं अध्यक्ष का पद

By Team MyNation  |  First Published Jun 27, 2019, 6:50 PM IST

राहुल गांधी कई बार कह चुके हैं कि वह अब आगे कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं संभालना चाहते हैं। कल ही उन्होंने फिर सांसदों के सामने इस्तीफे की पेशकश की। लेकिन अभी तक कोई नहीं जानता था कि राहुल के इस्तीफे के पीछे का कारण क्या था। लेकिन आज ये दर्द राहुल गांधी की जुबान पर आ ही गया।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने में जुटे हैं। राहुल गांधी कई बार कह चुके हैं कि वह अब आगे कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं संभालना चाहते हैं। कल ही उन्होंने फिर सांसदों के सामने इस्तीफे की पेशकश की। लेकिन अभी तक कोई नहीं जानता था कि राहुल के इस्तीफे के पीछे का कारण क्या था। लेकिन आज ये दर्द राहुल गांधी की जुबान पर आ ही गया। राहुल गांधी ने कहा कि जहां पर भी कांग्रेस को हार मिली है वहां के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों ने इस्तीफा नहीं दिया है। लिहाजा वह हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहते हैं।

दरअसल आज यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव चंद्र यादव समेत कई पदाधिकारी राहुल गांधी से मिले और उन्होंने राहुल गांधी से अपनी इस्तीफा  न देने की गुजारिश की। इन पार्टी नेताओं ने राहुल गांधी से कहा कि आप पार्टी से इस्तीफा वापस ले लीजिए। क्योंकि पार्टी की हार हुई है और ये एक सामुहिक जिम्मेदारी है। लेकिन इसके तुरंत बाद राहुल गांधी का दर्द उनकी जुबान पर आ गया।

राहुल गांधी साफ कहा कि हार के लिए अभी तक किसी भी प्रदेश के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और वरिष्ठ पदाधिकारी ने जिम्मेदारी नहीं ली है। लिहाजा मैं इसकी जिम्मेदारी ले रहा हूं। यहां तक कि जिन राज्यों में कांग्रेस राज कर रही है वहां के किसी भी बड़े नेता या फिर मुख्यमंत्री ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली और इस्तीफा नहीं दिया। लिहाजा पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते ये जिम्मेदारी मेरी बनती है।

फिलहाल राहुल गांधी के आवास पर लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा की जा रही है। इस बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि 'मुझे इसी बात का दुख है कि मेरे इस्तीफे के बाद किसी मुख्यमंत्री, महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों ने हार की ज़िम्मेदारी लेकर इस्तीफा नही दिया। इस बैठक में कांग्रेस के दिग्गज नेता केसी वेणुगोपाल, अहमद पटेल, भूपेंद्र सिंह हुडा, अशोक तंवर, कुमारी शैलजा और गुलाम नबी आजाद मौजूद रहे।

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