..तो इसलिए भाजपा ने जावड़ेकर पर खेला दिल्ली का दांव

Published : Aug 10, 2019, 08:40 AM IST
..तो इसलिए भाजपा ने जावड़ेकर पर खेला दिल्ली का दांव

सार

दिल्ली फतह करना भाजपा के लिए जरूरी है। क्योंकि राज्य में पिछले 21 सालों से वह राज्य की सत्ता से बाहर है। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य की सभी सातों सीटों पर विजय हासिल की है। लिहाजा भाजपा विधानसभा चुनाव में ऐसी रणनीति बनानी चाहती है जिसके जरिए वह राज्य में चुनाव जीत सके।

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। जबकि दिल्ली में उनके गृह राज्य के मतदाता काफी कम हैं। असल में राजस्थान विधानसभा और लोकसभा चुनाव में प्रकाश जावड़ेकर के प्रदर्शन को देखते हुए भाजपा ने उन पर दांव खेला है। जहां अपने कुशल प्रबंधन के जरिए पार्टी को लोकसभा चुनाव में 25 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार सत्ता में है।

दिल्ली फतह करना भाजपा के लिए जरूरी है। क्योंकि राज्य में पिछले 21 सालों से वह राज्य की सत्ता से बाहर है। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य की सभी सातों सीटों पर विजय हासिल की है। लिहाजा भाजपा विधानसभा चुनाव में ऐसी रणनीति बनानी चाहती है जिसके जरिए वह राज्य में चुनाव जीत सके। प्रकाश जावड़ेकर राजस्थान के प्रभारी रह चुके हैं और उनकी अगुवाई में राज्य का विधानसभा चुनाव लड़ा गया था और उसके बाद लोकसभा का चुनाव।

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस की सरकार राज्य पर काबिज होने के बावजूद 25 सीटों पर जीत हासिल की है। यहां तक कि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने बेटे को लोकसभा का चुनाव नहीं जीता पाए थे। वहीं विधानसभा चुनावों में पार्टी से 70 सीटें जीती जबकि पहले ये उम्मीद की जा रही थी भाजपा राज्य में 40 सीटें ही जीत पाएगी। लेकिन जावड़ेकर ने अपने प्रबंधन के जरिए पार्टी की खराब स्थिति में काफी सुधार किया।

लिहाजा राजस्थान में पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए प्रकाश जावड़ेकर पर पार्टी ने दांव खेला है। फिलहाल ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी को आम आदमी पार्टी से ही कड़ी चुतौती मिल सकती है। क्योंकि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल एक बार फिर मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। लिहाजा पार्टी पर इस बात का भी दबाव होगा कि पार्टी किसी चेहरे पर यहां मुख्यमंत्री के लिए दांव खेले। हालांकि भाजपा गुटबाजी से बचने के लिए किसी चेहरे पर दांव नहीं खेलेगी।

पार्टी 21 साल बाद दिल्ली विधानसभा में सत्ता वापसी के लिए मेहनत कर रही है। जबकि देश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकार बन चुकी है। वहीं अगर पार्टी ने दिल्ली फतह कर लिया तो देश के अन्य राज्यों में भी वह बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी।

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