राष्ट्रवाद और देश की बात करने पर अघोषित प्रतिबंध लगा देता है सोशल मीडिया

By Team MyNation  |  First Published Sep 20, 2019, 8:31 PM IST

जैसा कि कई लोगों ने माना है, मुख्यधारा हमेशा मुख्यधारा नहीं होती है और अक्सर फेसबुक और अन्य पोर्टलों द्वारा प्रतिबंधित हो जाती है। मैं अभिनव खरे डीप डाइव नामक एक दैनिक शो होस्ट करता हूं। मेरे नियमित वीडियो लगभग 3 लाख लोगों तक पहुँचते हैं और कम से कम 30 हजार से 40 हजार लोग देखते हैं। हाल ही में, मैंने अनुच्छेद 370 और यूएपीए को खत्म करने वाला एक वीडियो किया, लेकिन इन वीडियो को फेसबुक अघोषित तौर पर प्रतिबंध लगाया, जिसके बाद इस शो को कुछ सौ ही व्यूज मिले। 

कॉर्पोरेट में लोगों को सिखाया जाता है कि वे अपनी विचारधाराओं और विचारों को सार्वजनिक रूप से व्यक्त न करें। क्योंकि ये उनके करियर को नष्ट करने का एक कारण बन सकता है। यह वास्तव में एक हद तक सही भी है। यदि लोग अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्यार का प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें कोई किसी विचारधारा का समर्थक बनाने में एक सेकंड भी नहीं लगाता है। दक्षिणपंथी और राष्ट्रवाद एक ही बात नहीं है क्योंकि यह हमारी संस्कृति है कि हम सभी का स्वागत करते हैं और उन्हें अपना मानते हैं।

यह केवल मनुष्य नहीं है बल्कि सभी जीवित प्राणियों के लिए लागू है। हम मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों का समान रूप से सम्मान करते हैं। यह शब्द दक्षिणपंथी पश्चिमी दुनिया द्वारा गढ़ा गया है, जो हमारी संस्कृति और सभ्यता को समझने में विफल रहे हैं। भारत का सम्मान करने और भारतीय सेना का सम्मान करने में कुछ भी गलत नहीं है। 

जैसा कि कई लोगों ने माना है, मुख्यधारा हमेशा मुख्यधारा नहीं होती है और अक्सर फेसबुक और अन्य पोर्टलों द्वारा प्रतिबंधित हो जाती है। मैं अभिनव खरे डीप डाइव नामक एक दैनिक शो होस्ट करता हूं। मेरे नियमित वीडियो लगभग 3 लाख लोगों तक पहुँचते हैं और कम से कम 30 हजार से 40 हजार लोग देखते हैं। हाल ही में, मैंने अनुच्छेद 370 और यूएपीए को खत्म करने वाला एक वीडियो किया, लेकिन इन वीडियो को फेसबुक अघोषित तौर पर प्रतिबंध लगाया, जिसके बाद इस शो को कुछ सौ ही व्यूज मिले।

आमतौर पर जब भी कोई भारतीय के रूप में अपने गौरव के बारे में पोस्ट करता है, तो उन्हें ये सोशल मीडिया प्लेटफार्म अघोषित तौर पर प्रतिबंधित कर देते हैं। चुनावों के दौरान इस तरह के प्रतिबंध का सामना हमको करना पड़ा था, जिनमें माय नेशन पेज भी शामिल है और वह भी बिना किसी स्पष्टीकरण के।

बीबीसी और वाशिंगटन पोस्ट जैसे समाचार आउटलेट हमें भारतीयों को कमजोर करने के लिए शर्मिंदा महसूस कराने की अकसर कोशिश करते हैं। उन्होंने 200 साल से ऐसा ही किया है और अब भी वो वही कर रह हैं। उन्होंने हमसे 45 ट्रिलियन डॉलर लूट लिए हैं और फिर वे हमें व्हाइट मैन के बर्डन कहते हैं। आइए हम उन्हें फिर से हमारे अधिकारों पर पर शासन करने की अनुमति न दें।

यदि हम कभी यह कहने की कोशिश करते हैं कि हम संघ को मानते हैं और समर्थन करते हैं, तो हमें अशिक्षित ग्रामीणों के रूप में चिह्नित किया जाता है। एक युवा व्यक्ति के रूप में जो इस दुनिया में पैर जमाने की कोशिश कर रहा है, ऐसे टैग उसके लिए मायने रखते हैं। लेकिन हम चुनाव के दौरान ही परिणाम देखते हैं। सभी घराने चुनावों से पहले कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी करते हैं, लेकिन परिणाम हमेशा साफ दिखाते हैं कि लोग किस पर विश्वास करते हैं।

कई लोगों को और उनके परिवारों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। क्यों? जब वो ये व्यक्त करते हैं कि वह राष्ट्र, अपनी मातृभूमि से प्यार करते हैं। यह लड़ाई सिर्फ 5-6 सालों में वर्षों में नहीं लड़ी जा सकती। इस लड़ाई को दशकों तक जारी रखना होगा क्योंकि हमें सच्चाई को बदलने की जरूरत है। इतिहास पक्षपाती है। इतिहास सिर्फ मुगल साम्राज्य ही नहीं बल्कि चोल, पाला और अन्य राजवंशों को भी शामिल करना होगा है। यह बदलाव शुरू हो गया है और यह निश्चित रूप से होगा। हम सभी जीवित प्राणियों की ओर बढ़ रहे हैं, फिर हम कैसे फांसीवादी हो सकते हैं। हम हमेशा उदारवादी रहेंगे जो सभी से प्यार और सम्मान करेंगे।

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