सोशल मीडिया के जरिए चुनावों को प्रभावित करने की खबरों के बीच तलब किए ट्विटर के सीईओ ने सूचना प्रौद्योगिकी मामलों की संसदीय समिति के सामने आने से मना कर दिया है।
सोशल मीडिया के जरिए चुनावों को प्रभावित करने की खबरों के बीच तलब किए ट्विटर के सीईओ ने सूचना प्रौद्योगिकी मामलों की संसदीय समिति के सामने आने से मना कर दिया है। इसके लिए समिति ने उन्हें समय दिया था, लेकिन उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों से आने के लिए मना कर दिया है।
कुछ दिन पहले ही मंत्रालय ने ट्विटर और फेसबुक समेत अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों से ये सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि उनके मंचों का इस्तेमाल भारतीय चुनावों को प्रभावित करने के लिए नहीं किया जाएगा। इसी के लिए भारत की संसदीय समिति ने ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी और शीर्ष अधिकारियों को समिति के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया था। लेकिन अब इन अधिकारियों ने आने से मना कर दिया था। इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर हैं।
ठाकुर ने इसकी जानकारी अपने सोशल मीडिया के जरिए दी है। समिति ने ट्विटर के अधिकारियों को पेश होने के लिए 10 दिन का वक्त दिया था। ठाकुर ने 1 फरवरी को ट्विटर को पत्र भेजकर बुलाया था। लेकिन बाद में बैठक को 11 फरवरी कर दिया था। लेकिन सोशल मीडिया साइट ने आने से मना कर दिया है। समिति का मानना था कि ये समय इस लिए बढ़ाया गया जिस से ट्विटर सीईओ जैक डॉर्सी समेत कुछ सीनियर अधिकारी आने के लिए पर्याप्त वक्त निकाल सकें।
कुछ दिन पहले ही कई स्वयंसेवी संगठन यूथ फॉर सोशल मीडिया डेमोक्रेसी के सदस्यों ने दिल्ली में ट्विटर के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया था कि सोशल मीडिया साइट वामपंथी विचारों को समर्थन करते हैं और दक्षिणपंथी विचार के विरोध में है। उनका आरोप था कि ट्विटर ने 'दक्षिणपंथ विरोधी रुख' अख्तियार किया है और उनके ट्विटर खातों को बंद कर दिया है। हालांकि ट्विटर ने इन आरोपों का खारिज किया था। इसी संस्था ने अगुराग ठाकुर को भी पत्र लिखा था।