एसपी इस सीट पर ऐसे किसी चेहरे पर दांव खेलना चाहती है जो लखनऊ का भी हो और एक जाना पहचाना चेहरा हो। पिछले दिनों पार्टी में कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा के नाम पर चर्चा हुई थी। लेकिन फिलहाल पार्टी ने उनके नाम को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि लखनऊ में कायस्थ वोट बैंक खासी तादाद में है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का लोकसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन बावजूद पार्टी को राज्य की दो वीवीआईपी सीटों प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। गठबंधन के तहत एसपी के पास लखनऊ और वाराणसी की सीट आयी है, लेकिन इन दोनों वीवीआईपी सीट पर पार्टी अभी तक किसी का नाम फाइनल नहीं कर सकती है। फिलहाल एसपी इन दोनों सीटों पर किसी गैर राजनैतिक व्यक्ति पर विचार कर सकती है।
असल में एसपी की इन दो सीटों पर सबसे ज्यादा दिक्कत प्रत्याशियों को लेकर है। वाराणसी और लखनऊ में पार्टी का कोई भी बड़ा चेहरा पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नहीं उतरना चाहता है। क्योंकि जिस तरह के समीकरण इन दो सीटों उभर रहे हैं, , उसको देखते हुए ज्यादातर बड़े नेताओं ने चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया है। लिहाजा एसपी इस सीट पर ऐसे किसी चेहरे पर दांव खेलना चाहती है जो लखनऊ का भी हो और एक जाना पहचाना चेहरा हो। पिछले दिनों पार्टी में कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा के नाम पर चर्चा हुई थी।
लेकिन फिलहाल पार्टी ने उनके नाम को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि लखनऊ में कायस्थ वोट बैंक खासी तादाद में है। लखनऊ में बीजेपी के टिकट पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह और वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस ने भी किसी प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है। लेकिन एसपी-बीएसपी भी इस मामले में पीछे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस ने जतिन प्रसाद को लखनऊ से टिकट देने का ऑफर किया था, लेकिन उन्होंने इसके लिए साफ मना कर दिया था। जबकि एसपी भी किसी भी प्रत्याशी को घोषित नहीं कर पायी है।
सूत्रों के मुताबिक एसपी के भीतर लखनऊ और वाराणसी सीट पर बड़े नेताओं द्वारा चुनाव लड़ने से मना करने के बाद पार्टी किसी ऐसे चेहरे की तलाश कर रही है, जो चर्चित चेहरा हो और जिसका ताल्लुक लखनऊ से भी हो। यही नहीं पार्टी किसी गैर राजनैतिक व्यक्ति को टिकट देने पर भी विचार रही है। हालांकि एसपी का इन दोनों सीटों पर किसी प्रत्याशी को घोषित न करना कार्यकर्ताओं के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। क्योंकि प्रत्याशी घोषित न होने की स्थिति में कार्यकर्ता सुस्त हैं। जबकि बीजेपी कार्यकर्ता जोश के साथ चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं।