आज समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर आगे की रणनीति बताई. फिलहाल दोनों दल राज्य की 80 सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. हालांकि रालोद के शामिल होने पर दोनों दलों ने चुप्पी साधी है.
-दोनों ने लखनऊ में की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस
देश की राजनीति में आज सबसे बड़े गठबंधन की शुरूआत हो गयी है. लखनऊ में आज सपा और बसपा के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन हो गया है. इसके लिए आज समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर आगे की रणनीति बताई. फिलहाल दोनों दल राज्य की 80 सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. हालांकि रालोद के शामिल होने पर दोनों दलों ने चुप्पी साधी है.
पत्रकारों को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि इस गठबंधन को राज्य में 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड को दरकिनार करते हुए किया गया है. क्यंकि देश हित सबसे ज्यादा जरूरी है. उन्होंने कहा कि आप जानना चाहेंगे की हमने कांग्रेस को इस गठबंधन में शामिल क्यों नहीं किया. उन्होंने कहा आप जानते हैं कि देश की आजादी के बाद एक ही पार्टी ने काफी समय तक राज किया है, कांग्रेस की इस राजनीति के कारण देश में गरीबी का इजाफा हुआ है, भाजपा और कांग्रेस की विचारधारा एक जैसी है और सोच भी और दोनों एक जैसे नजर आते हैं
उन्होंने कहा कि रक्षा डीलों में दोनों ही पार्टियों ने गड़बड़ी की हैं, पहले कांग्रेस ने बोफोर्स किया और अब बीजेपी जल्द ही राफेल की डील में गड़बड़ी के चलते देश की सत्ता से बाहर जाने वाली है. मायावती ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा में 2019 में हुए इस गठबंधन को एक प्रकार से नए राजनीतिक क्रांति का समय माना जायेगा. लिहाजा बसपा ने आगामी लोकसभा चुनावों में एक बार फिर समाजवादी पार्टी के साथ इस गठबंधन को करने का फैसला किया है.उन्होंने कहा कि बसपा नेसमाजवादी पार्टी के साथ सन, 1993 में विधानसभा चुनावों में काशीराम जी और मुलायाम सिंह जी के गठबंधन में चुनाव लड़ा गया और सरकार बनाई गई थी. लिहाजा देश में दोबारा ऐसे हालातों के बीच बसपा ने एक बार फिर ऐसा करने की जरूरत महसूस की है.