असल में राज्य में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनैतिकों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है और राज्य में जातिवाद की राजनीति शुरू हो गई है। राज्य में ज्यादातर सियासी दल 11 फीसदी ब्राह्मण वोट को अपने पक्ष में करना चाहता है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनैतिक दल ब्राह्मणों को लुभाने की तैयारी में हैं। वहीं इसी बीच समाजवादी पार्टी का दोहरा चरित्र सामने आए हैं। जहां राज्य में सपा मुखिया अखिलेश यादव ब्राह्मणों को लुभाने के लिए राज्य के हर जिले में भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाएंगे। वहीं राज्य में उनके करीबी नेता ने भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताते बताया है। वहीं इस बयान के बाद सपा विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। क्योंकि सपा नेता का ये बयान मुस्लिमों को खुश करने के तौर पर देखा जा रहा है।
असल में राज्य में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनैतिकों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है और राज्य में जातिवाद की राजनीति शुरू हो गई है। राज्य में ज्यादातर सियासी दल 11 फीसदी ब्राह्मण वोट को अपने पक्ष में करना चाहता है। लिहाजा राज्य में इस वर्ग को लुभाने के लिए सपा न अपने ब्राह्मण नेताओं को आगे किया है जो ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने का का काम करेंगेऔर इसके लिए सपा ने राज्य के सभी जिलों में भगवान परशुराम की मूर्तियों को लगाने का फैसला किया है।
वहीं सपा के नेताओं का कहना है कि भगवान श्रीराम हमारे भी हैं। इसी बीच सपा के नेता ने भगवान राम के अस्तित्व को लेकर ही सवाल खड़े किए हैं। राज्य में सपा के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष लोटन राम निषाद ने कहा है कि भगवान श्रीराम महज एक काल्पनिक पात्र हैं। लिहाजा विपक्षी दलों का कहना है कि सपा ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। क्योंकि सपा हमेशा से ही हिंदू मुस्लिम की राजनीति करती है। लोटन राम निषाद ने कहा कि भगवान श्रीराम में कोई आस्था नहीं है। इस बयान के सामने आने के बाद अब लोटन राम समेत समाजवादी पार्टी की कड़ी आलोचना की जा रही है।