लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी पार्टी की फार्मूला अपनाया है। इस फार्मूले के तहत एसपी सांसद प्रवीण निषाद भाजपा में शामिल हो गए हैं वहीं उनके पिता और निषाद पार्टी के अध्यक्ष ने बीजेपी के साथ चुनावी गठबंधन किया है। दिलचस्प ये ही प्रवीण निषाद ने योगी आदित्यनाथ का अभेद गढ़ कहे जाने वाले गोरखपुर में फतह हासिल की थी।
लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी पार्टी की फार्मूला अपनाया है। इस फार्मूले के तहत एसपी सांसद प्रवीण निषाद भाजपा में शामिल हो गए हैं वहीं उनके पिता और निषाद पार्टी के अध्यक्ष ने बीजेपी के साथ चुनावी गठबंधन किया है। दिलचस्प ये ही प्रवीण निषाद ने योगी आदित्यनाथ का अभेद गढ़ कहे जाने वाले गोरखपुर में फतह हासिल की थी।
आज एसपी सांसद प्रवीण निषाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। निषाद गोरखपुर से लोकसभा सांसद हैं और 2017 में निषाद पार्टी ने एसपी के साथ चुनावी गठबंधन किया था। इस गठबंधन के तहत प्रणीण निषाद एसपी में शामिल हुए थे जबकि उनके पिता और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने एसपी के साथ गठबंधन किया था। इस चुनाव में बीएसपी ने भी एसपी को बाहर से समर्थन दिया था। हालांकि ये सीट बीजेपी हार गयी। जिसे योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ा झटका माना गया था। बीजेपी गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव हारी और ये दोनों सीटें एसपी के खाते में गयी।
निषाद पार्टी का निषाद, केवट, मल्लाह, बेलदार और बिंद बिरादरियों में अच्छा प्रभाव माना जाता है और पूर्वांचल में पार्टी करीब 16 लोकसभा सीटों पर प्रभाव डाल सकती है। वहीं संजय निषाद का दावा है कि 25 लोकसभा सीटों पर 3 से 4 लाख के बीच उनके समुदाय के मतदाता हैं। कुछ दिन पहले ही संजय निषाद ने एसपी-बीएसपी गठबंधन ने खुद को अलग किया था और धोखा देने का आरोप लगाया। क्योंकि पार्टी ने प्रवीण निषाद को गोरखपुर से टिकट नहीं दिया था। वहीं अब निषाद पार्टी के बीजेपी के साथ जाने को एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है। आज दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में प्रवीण निषाद को यूपी के प्रभारी जेपी नड्डा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई।
कभी योगी को दिया था प्रणीण निषाद ने बड़ा झटका
प्रवीण निषाद गोरखपुर से मौजूदा सांसद हैं और वह एसपी के टिकट पर गोरखपुर से सांसद चुने गए थे। ये सीट योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी। इस सीट को हारना योगी के लिए बड़ा झटका था क्योंकि चार बार वहां से सांसद चुने गए थे और वह सरकार के मुखिया भी थे। उसके बावजूद बीजेपी को वहां पर हार मिली। गोरखपुर को योगी का ‘अभेद्य’ किला माना जाता था। क्योंकि गोरक्षपीठ के महंत होने के नाते इस इलाके में उनका प्रभाव था। गोरखपुर में करीब 3.5 लाख निषाद मतदाता हैं।