संसद से कहा, वह भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा से निपटने और इसके दोषियों को सजा देने के लिए नए प्रावधान लाने पर विचार करें। ऐसा करने वालों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद को भीड़ के पीट-पीटकर किसी की हत्या कर देने के मामलों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए नया कानून लाने पर विचार करना चाहिए। 'भीड़तंत्र की इन भयावह गतिविधियों' को नया चलन नहीं बनने दिया जा सकता। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने भीड़ और कथित गौ-रक्षकों की हिंसा से निपटने के लिए 'निरोधक, उपचारात्मक और दंडात्मक प्रावधानों' को लेकर दिशानिर्देश भी जारी किए।
पीठ में शामिल जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, समाज में कानून एवं व्यवस्था सुनिश्चित करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, ताकि कानून का शासन बना रहे। 'नागरिकों को कानून अपने हाथ में लेने नहीं दिया जा सकता। वे खुद सजा देने वाले नहीं बन सकते।'
पीठ के मुताबिक, कोई भी राज्य ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकता। 'भीड़तंत्र की खौफनाक गतिविधियों को नया चलन बनने नहीं दिया जा सकता। इनसे कड़ाई से निपटने की जरूरत है।' पीठ ने संसद से कहा है कि वे भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा से निपटने और इसके दोषियों को सजा देने के लिए नए प्रावधान लाने पर विचार करें। साथ ही ऐसा करने वालों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने देश में ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए दिशानिर्देश तय करने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं। पीठ ने तुषार गांधी और तहसीन पूनावाला जैसे लोगों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 28 अगस्त निर्धारित की है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों से उनके निर्देशों के अनुपालन के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। खचाखच भरी अदालत में चीफ जस्टिस ने इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों को पढ़कर नहीं सुनाया। (पीटीआई)