शाहीन बाग के खिलाफ 'जनता' पहुंची सुप्रीम कोर्ट

By Team MyNationFirst Published Feb 4, 2020, 7:40 AM IST
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जनता ने शाहीन बाग के रास्ते को खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। लोगों का कहना है इसके कारण उन्हें पिछले पचास दिनों से ज्यादा से दिक्कत हो रही है। लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है। उन्हें महज एक किलोमीटर के लिए तीस किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ रहा है।

नई दिल्ली। नागरिकता संसोधन कानून को लेकर दिल्ली के शाहीन बाग में धरने पर बैठ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अब जनता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटया है। जनता ने शाहीन बाग के रास्ते को खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। लोगों का कहना है इसके कारण उन्हें पिछले पचास दिनों से ज्यादा से दिक्कत हो रही है। लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है। उन्हें महज एक किलोमीटर के लिए तीस किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ रहा है।

पिछले डेढ़ महीने से नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ शाहीन बाग के लोग धरना-प्रदर्शन पर बैठें है। इन लोगों के कारण कालिंदी कुंज का रास्ता बंद है। जिसके कारण दिल्ली से नोएडा और नोएडा से दिल्ली और हरियाणा जाने वालों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इन लोगों को अपने गंतव्य जाने में कई घंटे अतिरिक्त लग रहे हैं। खासतौर से स्कूली बच्चों को दिक्कत हो रही है। महज एक किलोमीटर की दूरी के लिए 30 किलोमीटर तक का लंबा सफर तय करना पड़ा रहा है।

रविवार को ही शाहीन बाग के धरने के खिलाफ सरिता बिहार, जसोला  और आसपास के लोगों ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मोर्चा निकाला था और पुलिस को अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन अब इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाने की गुहार की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस धरने के कारण लोगों को परेशानी हो रही है और कोर्ट केंद्र सरकार समेत संबंधित अथॉरिटी को निर्देश दें।

ताकि जनता को राहत मिले। याचिका में कहा गया है कि इन प्रदर्शनकारियों की वजह से लोगों के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा  फिलहाल विशेष पुलिस उपायुक्त (कानून व्यवस्था) आरएस कृष्णिया ने शाहीन बाग पहुंचकर सुरक्षा का जायजा लिया। क्योंकि कल ही चुनाव आयोग के आदेश के बाद वहां के पुलिस उपायुक्त चिन्मय विस्वाल  को हटा दिया गया था और इसकी जिम्मेदारी कुमार ज्ञानेश को दी गई है।
 

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