असल में पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के हिंदुत्व को प्रमोट कर रही है। राहुल के मंदिर दौरों को पार्टी ने काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश किया। ताकि हिंदू वोटों को भाजपा से अलग किया जा सके। राहुल गांधी ने कुछ महीने पहले कैलाश मानसरोवर की यात्रा की थी। जिसे कांग्रेस ने काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश किया। उसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मंदिरों के दर्शन किये। कुछ दिन पहले ही ये बात भी सामने आयी कि राहुल गांधी का गोत्र दत्तात्रेय है।
-हिंदुत्व का कार्ड खेलने में सफल हुए राहुल !
तीन हिंदीभाषी राज्यों में कांग्रेस की बड़ी जीत में राहुल गांधी का ‘मंदिर’ कार्ड बड़ा कारण माना जा रहा है। जिस तरह राहुल गांधी ने तीन राज्यों के चुनावों में मंदिरों के दर्शन किए। उससे कांग्रेस को चुनावी फायदा जरूर मिला है। कांग्रेस ने भाजपा के हिंदुत्व को चुनौती दी और इससे भाजपा को खामियाजा उठाना पड़ा। हालांकि राहुल ने दरगाहों के भी दर्शन किये। ताकि मुस्लिम वोट बैंक उससे नाराज न हो।
असल में पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के हिंदुत्व को प्रमोट कर रही है। राहुल के मंदिर दौरों को पार्टी ने काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश किया। ताकि हिंदू वोटों को भाजपा से अलग किया जा सके। राहुल गांधी ने कुछ महीने पहले कैलाश मानसरोवर की यात्रा की थी। जिसे कांग्रेस ने काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश किया। उसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मंदिरों के दर्शन किये। कुछ दिन पहले ही ये बात भी सामने आयी कि राहुल गांधी का गोत्र दत्तात्रेय है।
फिलहाल तीन राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद ये यह साबित हो गया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी की मंदिर-मंदिर घूमने की रणनीति निर्णायक साबित हुई। राहुल ने जिन इलाकों के मन्दिरों के दर्शन किए, उन इलाकों की ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। ये सीटें कांग्रेस ने भाजपा से छीनी हैं। यानी ये साफ होता है कि मंदिरों में जाना राहुल के लिए फायदे का सौदा साबित हुआ है।
राहुल ने राजस्थान के 46 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालने वाले कई मंदिरों के दर्शन कर एक तरह से भाजपा को चुनौती थी।
लेकिन भाजपा के नेता इसे भांप नहीं पाए। असल में गुजरात चुनाव से राहुल गांधी ने मंदिरों का दौरा करना शुरू कर दिया था। इससे कांग्रेस को काफी फायदा मिला था। गुजरात में राहुल ने गोविंद देव के मंदिर से चुनाव की शुरूआत की थी। गुजरात में भले ही कांग्रेस सरकार नहीं बना पायी। लेकिन भाजपा को उसने अच्छी टक्कर दी थी। इसके बाद कर्नाटक चुनाव में भी राहुल गांधी ने मंदिरों के दर्शन किए थे और वहां पर भी पार्टी हिंदू वोटरों को अपनी तरफ खीचने में सफल रही।
लिहाजा गुजरात और कर्नाटक की तर्ज पर ही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राहुल गांधी के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए चुनाव में मंदिरों के दर्शन का कार्यक्रम तय किया।
मध्य प्रदेश में राहुल गांधी ने दतिया में 51 शक्ति पीठों में से एक मां पीतांबरा देवी के मंदिर में दर्शन किये। ये मंदिर तांत्रिक प्रथाओं के लिए जाना जाता है। कभी राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी भी यहां दर्शन करने आते थे। इसके साथ ही राहुल ने बुंदेलखंड के चित्रकूट के प्रख्यात कामतानाथ मंदिर में दर्शन किए।
ये दोनों मंदिर पूरे बुंदेलखंड इलाकें में काफी प्रभावी माने जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने ओंकारेश्वर मंदिर और उज्जैन में महाकाल का भी आशीर्वाद लिया था। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की मलहरा, महाराजपुर, दमोह, बांदा, राजनगर, गन्नौर, छतरपुर और पृश्वीपुर समेत कई सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा राहुल गांधी ने राजस्थान के मन्दिरों के दर्शन कर अपनी और कांग्रेस की छवि बदलने की कोशिश की।
राहुल गांधी ने नाथूद्वारा में श्रीनाथ मंदिर, चित्तौड़गढ़ में सांवलिया सेठ मदिर, सीकर में खाटू श्याम मंदिर, चूरू मे सालासार धाम मंदिर, दौरा में मेंहंदीपुर बाला जी मंदिर , बीकानेर में करणीमाता और प्रतापगढ़ में बेणुश्वर मंदिर के दर्शन कर हिंदू वोटों को साधा। जो इस इलाके में 40 सीटों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। इसका फायदा कांग्रेस को मिला और वह इन सीटों को जीतने में कामयाब रही। राजस्थान में कांग्रेस सरकार बना रही है। जबकि मध्य प्रदेश में भी उसकी सरकार बनने के आसार हैं।