किस्सा कुर्सी का, महाराष्ट्र में पल पल बदल रही है राजनीति

By Team MyNation  |  First Published Oct 30, 2019, 7:57 AM IST

भाजपा और शिवसेना में और बढ़ी कड़वाहट के बीच ऐन वक्त पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ने भाजपा के साथ होने वाली बैठक रद्द कर दी है। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी मुंबई का दौरा रद्द कर दिया था। अमित शाह को आज वहां पर होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेना था। लेकिन दोनों दलों के बीच चल रहे मतभेद के बाद उन्होंने मुंबई का दौरा रद्द कर दिया है।

मुंबई। महाराष्ट्र  की राजनीति पल  पल बदल रही है। शिवसेना  और भाजपा में  सरकार बनाने को लेकर रार तेज हो गई है। शिवसेना सीएम के  पद पर अड़ी है और 50-50 के  फार्मूले को लागू करने की बात कह रही तो भाजपा का  कहना है कि उसके विधायक ज्यादा है और पहले ही तय हो चुका था कि सीएम भाजपा  को होगा। लेकिन  इन दोनों दलों की  लड़ाई में फायदा  कांग्रेस और एनसीपी को  होते दिख रहा है।

भाजपा और शिवसेना में और बढ़ी कड़वाहट के बीच ऐन वक्त पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ने भाजपा के साथ होने वाली बैठक रद्द कर दी है। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी मुंबई का दौरा रद्द कर दिया था। अमित शाह को आज वहां पर होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेना था। लेकिन दोनों दलों के बीच चल रहे मतभेद के बाद उन्होंने मुंबई का दौरा रद्द कर दिया है। अब महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना अपनी ताकत को बढ़ाने में लगे हैं। छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिशें दोनों दल कर रहे हैं ताकि अपनी दावेदारी को मजबूत किया जा सके।

 हालांकि महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव  परिणाम के बाद इस तरह की तकरार पहली बार देखने को मिल रही है। असल में शिवसेना को लग रहा है कि अगर इस बार शिवसेना  का सीएम नहीं बना तो  भविष्य में उसे दिक्कत होगी। लिहाजा 50-50 के फार्मूले  को लागू कर पहले सीएम का पद चाहती है। उधर दोनों दलों के नेता एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। जिसके कारण रिश्तों में खटास आ रही है।

वहीं आज सरकार गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच बैठक होनी थी। लेकिन देवेन्द्र फडणवीस के बयान के बाद उद्धव ठाकरे ने इसे रद्द कर दिया।असल में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना पांच साल के लिए मुख्यमंत्री पद चाहती है। लेकिन 50-50 का फार्मूले की तो बात ही नहीं हुई तो फिर शिवसेना इस बारे में बात क्यों कर रही है। जबकि भाजपा के पास ज्यादा विधायक हैं।

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