विवाह के बाद संसद में बशीरहाट की सांसद नुसरत जहां का सुशील और संस्कारी भारतीय नारी का रुप हर तरफ चर्चा का विषय बन गया है। कोलकाता के व्यवसायी निखिल जैन से शादी के बाद जब वह संसद में शपथ लेने पहुंची तो उनके हाथों के चूड़े, माथे की बिंदिया और मांग के सिंदूर ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा। उस पर से भारतीय परंपरा के तहत स्पीकर के पैर छूना तो जैसे सोने पर सुहागा हो गया। लेकिन नुसरत जहां को अब कुछ विशेष सावधानियां भी बरतनी होगीं। आईए जानते हैं क्या-
नई दिल्ली: नई नवेली दुल्हन की तरह नुसरत जहां ने जब संसद में शपथ ग्रण के सात ही वंदे मातरम का भी उद्घोष किया, तो सब उनकी तरफ देखते ही रह गए। संसद भवन में परिपक्वता पूर्ण जनहित की मांग करते हुए नुसरत ने पश्चिम बंगाल में अपने क्षेत्र बशीरहाट में एक केंद्रीय विद्यालय खोलने की मांग भी रख दी है।
लेकिन एक मुसलमान परिवार में पली बढ़ी और जैन परिवार में ब्याही गई नुसरत की राह इतनी आसान नहीं रहने वाली है। उनका वास्ता राजनीति की रपटीली दुनिया से हैं। जहां उन्होंने कदम रख दिया है। उस पर से भारतीय संस्कृति से परिपूर्ण उनका यह अवतार कट्टरपंथियों को कतई रास नहीं आ रहा है। आने वाले समय में नुसरत जहां उर्फ रुही जैन के सामने यह परेशानियां आने वाली हैं। उन्हें इनका मुकाबला करने के लिए तैयार रहना होगा।
1. सायबर दुनिया में ट्रोल्स का सामना
नुसरत जहां उर्फ रुही को भारतीय नारी के रुप में देखकर मजहबी कट्टरपंथी आगबबूले हो उठे हैं। उन्होंने सारी मर्यादा को ताक पर रखते हुए नुसरत जहां को ट्रोल करना शुरु कर दिया है।
कुछ कट्टरपंथी नुसरत को जहन्नुम की आग का भय दिखा रहे हैं तो कुछ उन्हें धर्म विरोधी करार दे रहे हैं।
कुछ तो नुसरत की शादी और उनके पहनावे से इतने नाखुश हो गए हैं कि गंदी गालियां तक देने पर उतारु हो गए हैं।
कुछ कट्टरपंथी नुसरत को इस्लामी तहजीब सिखाने की कोशिश कर रहे हैं तो कुछ यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि इन कट्टरपंथियों के मन में सनातन धर्म और उसकी रीतियों के प्रति कितनी घृणा भरी पड़ी है।
इससे पहले अक्टूबर 2017 में दुर्गापूजा के समय भी नुसरत पर कट्टरपंथी उस समय टूट पड़े थे, जब उन्होंने दुर्गापूजा की बधाई देने का कथित रुप से दुस्साहस किया था।
उपर दिखाई गई इन घटनाओं से साबित होता है कि नुसरत जहां के खिलाफ कट्टरपंथी ट्रोल्स ने अपनी मिसाइलें तान रखी हैं। आने वाले समय में उनके हमले और बढ़ेंगे। भविष्य में नुसरत के हर काम पर ट्रोल्स की तीखी निगाहें रहेंगी। वह उनके दैनिक कार्यकलापों की बारीकी से निगरानी करते हुए हर रोज उन्हें अपने कट्टरपंथी व्यंग्यबाणों का निशाना बनाने की कोशिश करेंगे।
2. अनुभवहीनता का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे कट्टरपंथी विरोधी
नुसरत जहां राजनीति में बिल्कुल नई हैं। उनकी उम्र मात्र 29 साल है। वह 17वीं लोकसभा के कुछ सबसे युवा चेहरों मे से एक हैं। वैसे तो उन्होंने संसद भवन में सधी हुई शुरुआत की है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के अपने लोकसभा क्षेत्र बसीरहाट के लिए एक केन्द्रीय विद्यालय की मांग की है।
नुसरत ने बतौर सांसद अपने पहले अभिभाषण में कहा कि ’अध्यक्ष महोदय मेरे संसदीय क्षेत्र बशीरहाट में केंद्रीय विद्यालय की मांग एक लंबे समय से लंबित हैंl केंद्रीय विद्यालय की शिक्षा पद्धति के कारण कई बच्चों का भविष्य बना हैंl केंद्रीय विद्यालय अच्छी शिक्षा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैंl मैं सरकार से निवेदन करती हूं कि वह केंद्रीय विद्यालय बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाएंl केंद्रीय विद्यालय नहीं होने के कारण कई बच्चे अच्छी शिक्षा पाने से वंचित रह गए हैंl बशीरहाट बांग्लादेश के बॉर्डर पर होने के चलते कई सुरक्षाकर्मियों के बच्चे भी वहां रहते है और उन्हें अच्छी शिक्षा पाने के लिए दूर जाना पड़ता हैं'l
लेकिन नुसरत के विरोधी संसद में उनकी हर गलती का इंतजार करेंगे। आपको याद होगा कि जब नुसरत ने अपनी सहेली मिमी चक्रवर्ती के साथ पहली बार पहली बार पैट सूट पहनकर संसद परिसर में फोटो खिंचाया था तो कितना बवाल मचाया गया था।
नुसरत ने जिन मजहबी कट्टरपंथियों को अपनी सनातनी शादी और भारतीय नारी के रुप से चिढ़ा दिया है। वह उनपर लगातार नजर बनाए रखेंगे और संसद में किसी तरह की गलती को जोर शोर से उठाकर उन्हें निशाना बनाने की कोशिश करेंगे।
3. निर्वाचित सांसद होने के कारण जिंदगी से निजता होगी गायब
नुसरत जहां बंगाली सिनेमा जगत की सफल अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं। उनके नाम से फिल्में हिट होती हैं। एक अभिनेत्री के तौर पर अभी तक उनकी एक निजी जिंदगी थी। नुसरत ने व्यवसायी निखिल जैन से विवाह किया। इस शादी के लिए वह तुर्की चली गईं। यह सब उनका निजी फैसला था।
लेकिन अब वह निर्वाचित सांसद हैं। उन्हें संसद की कार्यवाहियों में उपस्थित रहना होगा। उनकी हर गतिविधि पर मीडिया की निगाह होगी। भले ही यह उनकी निजी जिंदगी ही क्यों ना हो।
लेकिन बशीरहाट की सांसद नुसरत जहां को अब इस कड़वी सच्चाई का सामना करना पड़ेगा कि एक सांसद के तौर पर उनके जीवन में निजी पलों जैसा कुछ भी नहीं बचा। उनके हर काम पर मीडिया की निगाह होगी। उनकी दोस्तों के साथ की गई इस तरह की मासूम शरारतें अनदेखी नहीं की जाएंगी।
दरअसल नुसरत राजनीति और ग्लैमर दोनो की दुनिया से ताल्लुक रखती हैं। ऐसे में उन्हें हमेशा मीडिया के कैमरों का सामना करना पड़ेगा। जैसा कि बुधवार को संसद में हुआ।
Newly elected Parliamentarians, actresses Nusrat Jahan and Mimi Chakraborty, recently took oath. After they stepped out of the Parliament, post their swearing-in, the two were swarmed by the media
Nusrat politely said, 'Aap dhakka nahin maar sakte sir, samajhiye baat ko'. pic.twitter.com/0e2LWB0fS9
4. नुसरत के खुले और प्रगतिशील विचारों के कारण अपने ही करने लगेंगे विरोध
नुसरत के लिए उनकी आखिरी और शायद सबसे बड़ी मुश्किल तब खड़ी होगी, जब उनके अपने ही विरोध पर उतारु हो जाएंगे। दरअसल नुसरत जहां एक खुले विचारों की प्रगतिशील महिला हैं। वह बंगाल के सिनेमा जगत की सुपर स्टार हैं। उनके किसी भी तरीके के बंधनमुक्त जीवन शैली का अंदाजा इस बात से ही हो जाता है कि एक मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने निखिल जैन से शादी की। लेकिन वह तृणमूल कांग्रेस की सांसद हैं। जिसका कोर वोट बैंक मुस्लिम समुदाय है।
तृणमूल कांग्रेस की राजनीति की समझ ना होने के कारण वह एक बार पहले भी मुसीबत में पड़ चुकी हैं। दरअसल बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस से उम्मीदवारी घोषित होने के तुरंत बाद ही नुसरत ने तीन तलाक पर अपने विचार स्पष्ट करते हुए कहा था ‘ आखिर आप कैसे सिर्फ तीन शब्दों के जरिए किसी महिला से अपने संबंध खत्म कर सकते हैं या उसे प्रताड़ित कर सकते हैं। यह गलत है। मैं तीन तलाक को खत्म किए जाने की कोशिशों को अपना समर्थन देती हूं।’
लेकिन उनकी पार्टी की सुप्रीमो ममता बनर्जी को अंदाजा हो गया था कि इससे बशीरहाट में उनका मुस्लिम वोट बैंक प्रभावित हो जाएगा। इसलिए उन्होंने नुसरत जहां के बयान को खारिज करते हुए तुरंत बयान दिया कि ‘मैं जानती हूं कि आपमें से कुछ नुसरत की टिप्पणी से नाराज हैं। कृपया इसे दिल पर ना लें। वह बच्ची है। वह यह सब कुछ नहीं समझती है। मेरी पार्टी का स्टैण्ड तय है और वह पार्टी स्टैण्ड से भटक नहीं सकती। इसका ध्यान रखें’। पूरी खबर यहां पढ़े
यह बात एक उदाहरण मात्र है कि कैसे भविष्य में उनकी राह आसान नहीं रहने वाली है। वह जिस पार्टी की सांसद हैं उसका कोर वोट बैंक ही उनकी वजह से पार्टी के छिटक सकता है। ऐसे में ममता बनर्जी उन्हें दरकिनार करने में कोई भी संकोच नहीं करेंगी।
इससे पहले दुर्गापूजा की बधाई देने के कारण एक बार और नुसरत को बशीरहाट के कट्टरपंथियों ने निशाने पर लिया था। ऐसे में उनपर अपने प्रगतिशील विचारों के कारण राजनीतिक नुकसान उठाने का खतरा हमेशा मंडराता रहेगा।