राज्य में कांग्रेस ने अपना एक ही प्रत्याशी मैदान में उतार कर उद्धव ठाकरे को राहत की सांस दी है। राज्य में उद्धव ठाकरे किसी भी सदन के सदस्य नहीं है और 28 मई तक उन्हें परिषद का सदस्य बनना है। जिसके बाद उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी को किसी भी तरह का खतरा नहीं होगा। हालांकि अब तय हो गया है कि ठाकरे परिषद में जाएंगे। आज शिवसेना प्रमुख ने अपना नामांकन दाखिल किया।
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इसके बाद उद्धव ठाकरे का परिषद में निर्वाचित होना तय हो गया है। राज्य में परिषद की नौ सीटों के लिए चुनाव होने हैं और मैदान में नौ ही प्रत्याशी हैं। इसमें चार भाजपा और पांच महा अघाड़ी विकास गठबंधन के प्रत्याशी हैं। जिसमें दो-दो शिवसेना और एनसीपी के और एक प्रत्याशी कांग्रेस का है।
राज्य में कांग्रेस ने अपना एक ही प्रत्याशी मैदान में उतार कर उद्धव ठाकरे को राहत की सांस दी है। राज्य में उद्धव ठाकरे किसी भी सदन के सदस्य नहीं है और 28 मई तक उन्हें परिषद का सदस्य बनना है। जिसके बाद उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी को किसी भी तरह का खतरा नहीं होगा। हालांकि अब तय हो गया है कि ठाकरे परिषद में जाएंगे। आज शिवसेना प्रमुख ने अपना नामांकन दाखिल किया। इससे पहले उनके बेटे और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे अक्टूबर 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। जबकि ठाकरे परिवार के उद्धव पहले सदस्य हैं जो परिषद में पहुंचे हैं। इससे पहले ठाकरे परिवार संसदीय राजनीति से हमेशा से ही दूर रहता था।
आज शिवसेना के वरिष्ठ नेता, संजय राउत, सुभाष देसाई, एकनाथ शिंदे, सहित अन्य नेता भी विधान भवन में सीएम के साथ मौजूद थे। वहीं उप मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजीत पवार, राकांपा के जयंत पाटिल, कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोराट भी वहा मौजूद थे। जबकि ठाकरे के अलावा शिवसेना की नीलम गोरहे ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। गोरहे विधान परिषद के उपसभापति है। गौरतलब है कि 30 अप्रैल को राज्यपाल ने अपने कोटे से ठाकरे के नामांकन करने से मना कर दिया था।
जिसके बाद राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई थी और इसके बाद राज्यपाल ने राज्य परिषद के खाली सीटों में चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा था। इसके बाद राज्य में विधान परिषद की नौ सीटों के लिए अधिसूचना जारी की गई। माना जा रहा है कि शिवसेना और कांग्रेस में इसको लेकर ढील हो गई है। जिसके तहत राज्य में होने वाले पालिका और नगर निगम के चुनावों में कांग्रेस को बंटवारे में ज्यादा सीटें दी जाएंगी।