अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ने रखा ऐसा प्रस्ताव जिससे बढ़ेगी मसूद अजहर की परेशानी

By Team MyNationFirst Published Feb 28, 2019, 9:12 AM IST
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संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति से अज़हर की वैश्विक यात्रा पर प्रतिबंध और संपत्ति को जब्त करने के लिए कहा है। समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है।

संयुक्त राष्ट्र-- पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर नकेल कसने के लिए भारत की कूटनीति रंग ला रही है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत साथ खड़े अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव दिया है।

बुधवार को दिए गए प्रस्ताव में इन देशों ने 15 सदस्यीय सुरक्षा प्रतिबंध समिति से अजहर की अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर प्रतिबंध और संपत्तियों को जब्त करने की मांग की है।

हालांकि, इस कदम का चीन द्वारा विरोध किए जाने की संभावना है, जिसने पहले सुरक्षा परिषद की इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति को 2016 और 2017 में मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने से रोक दिया था। चीन की ओर से नए प्रस्ताव पर फिलहाल कोई बयान नहीं है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात करके आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में सहयोग मांगा है।

संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति से अज़हर की वैश्विक यात्रा पर प्रतिबंध और संपत्ति को जब्त करने के लिए कहा है। समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है।

फ्रांस के साथ ही अमेरिका ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करने का ऐलान किया था। अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अंबेसडर जॉन बोल्टन ने भारत के एनएसए अजित डोभाल से बातचीत में कहा था कि हम इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे।

फ्रांस एक मार्च को औपचारिक तौर पर एक महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्‍यक्ष की जिम्मेदारी संभालेगा। दरअसल, पंद्रह राष्ट्रों वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर माह एक देश से दूसरे देश के हाथ में जाती है और एक मार्च को इसकी अध्यक्षता इक्वेटोरियल गुयाना से फ्रांस के पास चली जाएगी। फांस ने यह संकेत दिया है कि वह अपनी अध्यक्षता के दौरान मसूद अजहर के खिलाफ और कड़े कदम उठाएगा।

बता दें कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद फ्रांस ने पाकिस्‍तान की निंदा करते हुए कहा था कि उनका देश भारत के रुख को सही मानता है। फ्रांस आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ है और इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वित्तीय नेटवर्क पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लामबंद करने में पूरी तरह लगा हुआ है।
 

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