खेतिहर महिला ने खोली प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चलाई गई खबर की पोल

By Siddhartha Rai  |  First Published Jul 9, 2018, 10:36 AM IST

छत्तीसगढ़ की खेतिहर महिला चंद्रमणि कौशिक ने मीडिया के एक धड़े द्वारा चलाई गई उन खबरों को खारिज कर दिया है जिनमें दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल ही में किसानों के साथ वीडियो संवाद के दौरान उसकी कहानी को गलत तरीके से पेश किया गया। 

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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के किसानों से ऑनलाइन बात की। छत्तीसगढ़ के कांकेड़ जिले की एक खेतिहर महिला चंद्रमणि कौशिक ने भी पीएम से बात की। इस दौरान चंद्रमणि ने कहा, पारंपरिक धान की खेती की जगह फलों के पल्प (गूदे) का प्रसंस्करण करने से उसकी आय दोगुनी हो गई है, लेकिन मीडिया के एक धड़े ने इस कहानी कुछ अलग ढंग से पेश किया। उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि पीएम के कार्यक्रम में चंद्रमणि की सफलता की गलत कहानी सुनाई गई।  

‘माय नेशन’ को कैमरे पर दिए बयान में महिला ने इन ‘झूठी खबरों’ को खारिज कर दिया। उसका कहना है कि कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने उसके शब्दों को तोड़मरोड़कर उनका चुनिंदा तरीके से इस्तेमाल किया। महिला के बयान के बाद भाजपा द्वारा लंबे समय से किया जा रहा यह दावा पुख्ता होता नजर आता है कि पीएम को बदनाम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसी धारणा बनाई जा रही है मौजूदा सरकार के दौरान किसानों के लिए कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा? या बुद्धिजीवियों का एक धड़ा किसानों को खुश और उनका हक मिलता देख खुश नहीं है। 

चंद्रमणि  ने क्या कहा था पीएम मोदी से

चंद्रमणि ने पीएम से कहा था कि पारंपरिक धान की खेती की जगह फलों के पल्प (गूदे) का प्रसंस्करण करने से उसकी आय दोगुनी हो गई है। धान की खेती करना फायदेमंद नहीं है, लेकिन नए काम से उसे काफी फायदा हो रहा है। उन्होंने एक स्वयं सहायता समूह बनाया है, अब वे पल्प की मार्केटिंग कर रहे हैं। फलों को सीधे बेचने की जगह इस तरह की बिक्री से उन्हें काफी फायदा हो रहा है।

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना केंद्र सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके जरिए सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार लाना चाहती है। 

पीएम के किसानों के साथ इस संवाद के बाद मीडिया का यह धड़ा कांकेड़ में महिला के गांव पहुंच गया। यह दिखाने की कोशिश की गई कि दिल्ली से आए अधिकारियों ने महिला की आय को लेकर झूठ बोलने के लिए उस पर दबाव बनाया। महिला ने वही कहा, जो अधिकारियों ने उसे बोलने को कहा था।

हालांकि इसे गलत दिखाने के चक्कर में मीडिया के इस धड़े ने कई जगह चूक कर दी। पहला, यह कि चंद्रमणि ने पीएम के साथ वीडियो संवाद के दौरान कहीं भी यह नहीं कहा कि उसकी आय चावल/धान से दोगुनी हुई है। महिला वीडियो में पीएम से साफ-साफ कहती दिख रही है कि उसकी आय दोगुनी होने का कारण फलों एवं पल्प का प्रसंस्करण है। इसमें सीताफल या शरीफा मुख्य है।  

दूसरा, उक्त चैनल के रिपोर्टर से भी चंद्रमणि ने सिर्फ इतना कहा, ‘मुझसे पूछा गया कि था कि क्या मैं पीएम से बात कर पाऊंगी। मैं इसका ‘हां’ में जवाब दिया।’

महिला ने कभी यह नहीं कहा कि उसने दबाव में आकर झूठ बोला, या उसकी आय दोगुनी नहीं हुई। अलबत्ता, उसने ईमानदारी से पीएम मोदी से कहा कि धान की खेती करना फायदेमंद नहीं है। 

इस छोटी सी बाइट के साथ, टीवी पर महज कमेंटरी की गई और स्टोरी बनाने के लिए टीवी के तकनीकी-वीडियो टूल का इस्तेमाल किया गया। चैनल ने गांव के सरपंच की पूरी बाइट चलाई। यही वह शख्स था जिसने कहा कि ‘इस बात पर भरोसा करना मुश्किल है कि धान की खेती से उसकी आय दोगुनी हो गई।’

कैमरे पर दिए बयान में चंद्रमणि ने तोड़मरोड़ कर दिखाई गई इस खबर की पोल खोल दी है। उसके अनुसार, ‘मैंने पीएम से कहा था कि मेरी आय सीताफल के पल्प (गूदे) के प्रसंस्करण के चलते दोगुनी हुई है। वे खेती की बात कर रहे थे, लेकिन मैंने कहा कि पल्प के प्रसंस्करण के चलते ऐसा हुआ है। मैंने पीएम से कहा कि पहले सीताफल की खेती से हमें 50 रुपये मिलते थे। प्रशिक्षण के बाद इसका प्रसंस्करण करने से अब दोगुनी राशि मिलती है। मैं सिर्फ पल्प की बात कर रही थी न कि चावल की।’

तथ्यों की विस्तार से पड़ताल करने की बजाय, इस खबर से भाजपा के उस दावे की पुष्टि होती दिखती है कि लुटियन मीडिया का एक धड़ा न्यूज के बदले कहानियां बना रहा है। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को बदनाम करने के लिए तथ्यों की जगह कल्पनाओं का सहारा लिया जा रहा है। 

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