मात्र 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मारपीट और अवैध हथियार रखने का मुकदमा दर्ज किया। मुकदमा दर्ज होने के बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा और वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया।
पूर्वांचल में आंतक का पर्याय और दर्जनों हत्याकांड को अंजाम देने वाला मुन्ना बजरंगी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरे दयाल गांव का रहने वाला था। माफिया डान और विधायक मुख्तार अंसारी का सबसे सार्प सूटर बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। पांचवीं कक्षा तक पढ़े मुन्ना को बचपन से ही हथियारों का शौक था। उसके इसी शौक ने उसे जरायम की दूनिया में खिच लाई।
मात्र 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मारपीट और अवैध हथियार रखने का मुकदमा दर्ज किया। मुकदमा दर्ज होने के बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा और वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया।
अपराध की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहे मुन्ना बजरंगी को दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण उसके लिये काम करने लगा था। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी इसके बाद उसने अपने आका गजराज के इशारे पर जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या कर दी। रामचंद्र की हत्या ने बजंरगी को पूर्वांचल अपने नाम का डंका बजाया।
अब मुन्ना जौनपुर से निकल कर पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए बेताब था। इसी कारण उसने 90 के दशक में पूर्वांचल के माफिया डान मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग गाजीपुर से संचालित हो रहा था लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। बजरंगी मुख्तार अंसारी के इसारे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था।
इसी दौरान कृष्णानंद राय ने मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी को चुनाव में हरा दिया। भाई की हार से बौखलाये मुख्तार ने कृष्णानंद की हत्या की जिम्मेदारी सौंपी। मुख्तार से आदेश मिलने के बाद मुन्ना बजरंगी ने 29 नवंबर 2005 को हत्या कर दी। इस हमले में विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे।
1997 में काशी विद्यापीठ के दो स्टूडेंट्स लीडर्स सुनील राय और राम प्रकाश पाण्डेय की हत्या को अंजाम दिया था। इसके कई साल बाद उसने सुनील राय के भाई और बीजेपी लीडर अनिल राय की भी हत्या कराई थी।
2002 में ही मुन्ना बजरंगी ने वाराणसी के दशाश्वमेध थाना क्षेत्र में व्यापारी सुरेश साहू समेत दो लोगों की कर दी। इसी साल उसने वाराणसी के चेतगंज में स्वर्ण व्यवसायी की भी रंगदारी के लिए दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी।
साल 2013 में वाराणसी जेल के तेज तर्रार डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की हत्या करवा दी थी। हत्या को मुन्ना बजरंगी और रमेश काका के गुर्गों ने अजाम दिया।
2017 में जब धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में चंदन सिंह की गिरफ्तारी हुई तो उसने कबूल दिया कि डिप्टी जेलर के मर्डर के पीछे भी मुन्ना बजरंगी का हाथ था।